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पुरीयो, आ भरते हो आगल जगदीशके ॥ तीर्थकर केता होशे, भणे ऋषभजी हो अम पछी त्रेवीसके । ॥श्री०॥५॥ माघनी सांमळी तेरस, प्रभु पाम्या हो पद परमानंदके ॥ जाणी भरतेश्वर नणी, ससनेहा हो नाभिरायाना नंदके ॥श्री० ॥ ६॥ मनमोहन दीन एटला, मुज साथ हो रूषणा नविलीधके । हेज हियरो पर हरी, आज उंडी हो अबोलडा लीधके ॥ श्री०॥७॥ विण वांके काइ विरासिया, ते तोड्या हो प्रभु प्रेमना त्रागके ॥ ईन्द्रे भरतने बुझव्या, दोस म दीयो हो ए जिन वितरागके ॥ श्री०॥ ८॥ शोक मुकी भरतेसरु, वारधिकने हो वली दीध आदेशके ॥ थुभ करो जिण जिण थानके, संसकार्याहो तातजी रीसहेसके ॥श्री० ॥९॥ वली बंधव बीजा साधुना, तीहां कीधाहो त्रण शुभ अनुपके ॥ उंचो स्फटिकनो फुटडा, देखी डुंगरहो हरख्या भणे भूपके ॥ श्री० ॥ ॥ १० ॥ रतन कनक थुभ टुकडो, करो कंचन हो प्रासाद उत्तंगके ॥ श्री०॥ चोवारो चूंपे करी, एक जोयण हो मान मनरंगके ॥ श्री० ॥ ११॥ सिंह नि
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