________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Achar
सदैव भणो ॥७॥ चंद्र चंद्रिका समान, रुप सैलसे समान, दोढसो धनुषमान, देहको प्रमाण हे। चंद्रप्रभु स्वामी नाम, लीजीये प्रभात जाम, पामीये सुख ठाम ठाम, गामज समान हे ॥ महासेन अंगजात, लक्ष्मणाभिधान मात, जगमां सुजसख्यात, चिहुं दिसे थात हे । कहे नय छोडी तात, ध्याइये जो दिनरात, पामीये तो सुख सात, दुखकोमी जात हे ॥ ॥८॥ ढोलो दुधफेन पीड, उजलो कपुरखम, अमृत सरस कुंड, शुद्ध जाको तुंड है। सुविधि जिनंद संत, कीजीये दुःकर्म अंत, शुभ भक्ति जासदंत, श्वेत जाको वान हे ॥ कहे नय सुणो संत, पूजीये जो पुष्पदंत, पामीये तो सुख संत, शुद्ध जाको ध्यान हे ॥ ९॥ शितल शितल वाणी, घनाघन, चाहेत हे, भविकोक किशोरा, काक दिणंद प्रजासु नरींद, वली जिम चाहत चंद चकोरा ॥ विध गयंद सुचि सुरिंद, सति निज कंत सुमेध मयूरा ॥ कहे नय नेह धरी गुण गेह, तथा हु ध्यावत साहेब मेरा ॥ १० ॥ विष्णु भूपको मल्हार, जग जंतु सुखकार, वंशको शृंगार
For Private And Personal Use Only