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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ૧૭ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तत्व दीये देशना, सांजळे सुरनर कोड ॥ षट द्रव्यादिक वरणवे, ले समकित कर जोम ||२|| इहा थकी जिन वेगळा, सहस तेत्रीस शत एक ! सत्तावन जो जन वलि, सत्तर कला विवेक || ३ || द्रव्यथकी प्रभु वेगला, भावथी हृदय मोझार ॥ त्रण काल वंदन करूं, स्वास मांहे सोवार ||४|| श्री सीमंधर जिनवरु ए, पुरे बंछित कोम ॥ कांतिविजय प्रभु प्रणमतां, भक्ते बेकर जोड ॥ ५ ॥ इति ॥ ॥ श्रीजुं चैत्यवंदन ॥ ॥ पूर्व दिशि इशान कूण, पुक्खल में विजया ॥ नयरी पुंडरिगिणी तिहां, सीमंधर थुणीया ॥ १ ॥ पुर्वायु चोराशी लख, कांचन मय काया ॥ उंचपणे सय धनुष्य पंच, प्रणमे सुरराया ||२|| जयवंता जिन विचरंता, केवल दीपक देव ॥ श्री सीमंधर स्वामीजी, देजो तुम पद सेव ॥ ३ ॥ वीशलाख पूर्व कुंवर वास, भोगवी जिनेश्वर ॥ त्रेसठ लाख पुर्व राजऋद्धी, पाली अलवेश्वर ॥ ४ ॥ मुनिसुव्रत जिन विहरमान, तइये तुम दीक्षा ॥ तीर्थकर पद लहिये स्वामी, महियल For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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