SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ सीमंधर स्वामीनु चैत्यवंदन । ॥ जंबुद्विप पूरव दीशे, पुष्कल वक्ष विजये । नयरी पुंडर गिणी निरमली, धर्म सदा जिहां सजीए ॥१॥ श्रेयांस नरेसर नंद चंद, सत्यकी मात मल्हार ॥ रुख. मणी राणी वालहो, शिववंधु उरहार ॥ २॥ धनुष पांचसे देहमान, कंचन वरणी काय ॥ वृषभ लंछन रलियामणो; पुर्व चोराशी आय ॥ ३ ॥ शाति कुंथु अंतर जन्म, सीमंधर जिनराज ॥ वीस लाख पूर्व कुमर पद, त्रेसठ लाख पुर्वराज ॥४॥ श्री मुनिसुव्रत जव विचरता, तव प्रभु लीये दीक्षा ॥ कर्म खपावी केवल लही, दीये बहु जन शिक्षा ॥ ५॥ उदय ना. थने शासने, वरशे शिव पटराणी ।। सो कोड मुनी. राजजी, दसलाख केवल नाणी ॥६॥ सकल गुणे करी शोभता ए, शिवरमणी शिणगार ॥ श्री रूपविजय कविरायनो, माणेक कहे मुझतार ॥७॥इति॥ ॥वीजु चैत्यवंदन.॥ ॥ श्री सीमंधर विचरता, सोहे विजय मोझार ॥ समवसरण देवे रच्यु, बेसे परखदा बार ॥१॥ नव For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy