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तप कीजे, स्वामीवच्छल कीजे॥इम अटाइमहोच्छव कीजे, कल्पसूत्र घर पधरावीजे, आदिनाथ पूजीजे ॥१॥ वमाकल्प दीने धुरी मंडाण, दश कल्प आचार परमाण, नागकेतु वखाण ॥ पछे कीजे सूत्र मंडाण, नमुथ्थुणं होय प्रथम वखाण, मेघकुमार अही ठाण ॥ दश अछेरानो अधिकार, इंद्र आदेशे गर्भापहार, देखे सुपन उदार ॥ चोथे सुपने बीजो सार, सुपनपाठक आव्या दरबार, इम त्रीजुं जयकार ॥२॥ चोथे वीर जनम वखाण, दिशि कुमरी सवि इंद्रने जाण, दिव्य पंच वखाण ॥ पारणे परिसह तपने नाण, गणधर वाद चोमासी परमाण, तिम पाम्या निरवाण ॥ ए छठे वखाणे कहीए, तेलाधर दिवसे ए लहीए, वीरचरित्र एम सुणीए ॥ पास नेमि जिन अंतर सात, आठमे ऋषभ थेरा अवदात, सुणतां होये सुखशात ॥३॥ संवच्छरी दिन सहु नरनारी, बारसें सुत्रने समाचारी, निसुणे अट्ठमधारी ॥ सुणीए गुरु पट्टावली सारी, चैत्र परवाडी अति मनोहारी, नावे देव जुहारी ॥ साहमी साहमणी खामणा कीजे, समता रसमांही
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