________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Achar
४५२
जगजस मोटो, सिकसिला उपर जश् लोटो, समकीत सुखडी बोटो ॥ सोना गभारे सोवन जाली, झारो जिननी मूर्ति रसाली, चक्केसरी रखवाली. ॥ ४॥ इति श्री सीद्धाचलजीनी थोय संपुर्ण ॥
॥ अथ आठमनी थोय. ।।। ॥ अट्ठम जिनचंद्रप्रभ नमीए, अट्ठम . महामद दुरे दमीए, दुर्गतिमाहे नव जीए ॥ महसेन नंद जिनगुण रमीए, अष्ट महाभय भाव विसमीये. दुख दोहग निगर्माए ॥ अष्ट मंगल जस आगलराजे, चंद्र लंछन जस चरणे छाजे, जग जस पम्हो वाजे ॥ अष्ट कर्म भड संकट जाजे, प्रतिहार्य आठ विराजे, अष्टमी दिन तप ताजे ॥ १॥ अष्टापद जिनवरनां वृंद, जेहने प्रणमे असुर सुरिंद, जस गुण गाये नरिंद ॥ वंछित पूर्ण सुरतरु कंद, भाव भक्ति बंदु जिनचंद, जिम पामु आणंद ॥ अतित अनागत ने वर्तमान, त्रण चोवीसी बहुतेर मान, तेहy धरीये ध्यान ॥ प्रह उठी नित्य कीजे गान, दिन दिन वाधे अति घणुं वान, अष्टमी दीन सुप्रधान ॥ २॥ सुखदाई
For Private And Personal Use Only