________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जली पटराणी, परणावे इंद्र इंद्राणी ॥ सुख विलसे रस अमीरस गुजे, पूरवनवाणुं वार शेजृजे. प्रभु जइ पगले पूजे ॥१॥ आदि नहीं अंतर कोइ एहनो, केम वर्णवीजे सखी गुण एनो, मोटो महिमा तेनो । अनंता तीर्थकर इण गिरि आवे, विहरमान व्याख्यान सुणावे, दिलभरी दिल समजावे ॥ सकल तीर्थन एहीज ठाम, सर्वे धर्मनुं एहीज ध्यान, ए मुज आतमराम ॥ रे रे मूरख मनसुं मुजे, पूजीये देव घणा शत्रुजे, ज्ञाननी सुखडी गुजे ॥२॥ सोवन डुंगर टुंक रुपानी, अनोपम माणेक टुंक सोनानी, दीसे देरां दधानी ॥ एक टुंके मुनि अणसण करता, एक टुंके मुनिव्रत तप करता, एक टुंके उतरता ।। सुरजकुंड जलधिप लगावो, महीपालनो कोट गमावो, तेने ते समुद्र निपावो ॥ सवालाख शेजय महातम, पापतणी तिहां न रहे रातम, सुणतां पवित्र थाय आतम ॥ ३॥ रमणिक भुइरु गढ रढीयालो, नवखंड कुमर तीर्थ निहालो, भविजन पाप पखालो ॥ चोखाखाणने वाघण पोळ, चंदन तलावडी ओलखाजोर, कंचन भरोरे अंधोल ॥ मोद बारीनो
For Private And Personal Use Only