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कर्मनो नाश || ४ || केवल श्री पामी करीए, पहोता जन्म मरण भय टालवा, ग्यान
मुगतिमोझार ॥ सदा सुखकार ॥ ५ ॥ इति ॥ ॥ चैत्यवंदन बीजुं ॥
॥ बावीशमा श्री नेमनाथ, नित्य उठी वंदो ॥ समुद्रविजय सुत भानुसम, भविजन सुखकंदो ॥ १॥ सघन श्याम दुति देहनी, दश धनुष्य शरीर | अमित कांति यादव धणी, जांजे भवतीर ॥ २ ॥ राजिमती रमणी तजीए, ब्रह्मचर्य धरधीर ॥ शिवरमणी सुख विलसतां, भूप नमे धरी धीर ॥ ३ ॥ इति ॥
|| अंतरीक पार्श्वनाथ चैत्यवंदन ||
॥ प्रभु पासजी ताहरु नाम भीतुं, त्रिलोकमां एटलं सार दी || सदा समरतां सेवतां पाप नातुं, मन माहरे ताहरू ध्यान बेटुं ॥ १ ॥ मन तुम पासे वसे रात दीवसे, मुख पंकज नीरखवा हंस हीसे ॥ धन ते घडी जे घडी नयण दीसे, भली भगति भावे करी वनविषे ||२|| अहो एह संसार छे दुःख दोरी, इंद्वजालमां चित लागी ठगोरी || प्रभु मानीए विनती
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