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हृदय कमल कोशे, धीमतां ध्येय रूपं ॥ श्रीजयतिलक गुरु, सूरी राजस्य शिष्यो, वदति सुख निधानं, मोक्ष लक्ष्मी निवासं ॥८॥
॥ श्री शांति जिन चैत्यवंदन ।। ॥ जय जय शांति जिणंद देव, हथिणापुर स्वामी, विश्वसेन कुलचंद सम, प्रभु अंतरजामी ॥१॥ अचिरा उर सर हंस जिम, जिनवर जयकारी ॥मारी रोग निवारके. कीर्ति विस्तारी ॥२॥ शोलमा जिनवर प्रणमीयें ए, नित उठी नानी सील ॥ सुरनर भूप प्रसन्न मन, नमलां वाधे जगीश ॥३॥ इति ॥
॥श्री नेमनाथ जिन चैत्यवंदन ॥ ॥ समुद्रविजय कुलचंद नंद, शिवादेवी जाया॥ यादव वंश नमोमणि, सौरीपुर ठाया ॥ १॥ बालथकी ब्रह्मचर्य धर, गतम र प्रचार ॥ नोक्ता निज आत्मिकगुण, त्यागी संसार ॥ २॥ निःकारण जग जीवनो ए, आशानो विसराम ॥ दीनदयाल शिरोमणि, पूरण सूरतरु काम ॥३॥ पशुआं पुकार सुणी करी, छांडी गृहवास ॥ तत्क्षण संयम आदरी, करी
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