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॥ अथ नोमनी स्तुति ॥ ॥ सुव्रत सुविधि सुमति शिव पाम्या, अजित सुमति नमि संयम पाम्या ॥ कुंथु वासुपूज्य सुविधि चविया, नवमी दिन ते सुरवर नमिया ॥ १ ॥ शांति जिणंद थया जिहाज्ञानी, वर्तमान जिनवर शुभध्यानी ॥ दश कल्याणक नवमी दिवसे, सवि जिनवर प्रणमुं मन हरखे ॥ २ ॥ जिहां नव तत्व विचार कहीजे, नवविध ब्रह्म आचार लहीजे ॥ ते आगम सुणतां सुख लहीए, नवविध परिग्रह विरती कहीए ॥ ३॥ समकित दृष्टि सुरसंदोहा, आपे सुमति विलास सस मोहा ॥ श्री ज्ञानविमल कहे जिननामे, दिन दिन दोलत अधिकी पामे. ॥ ४॥
॥ अथ दशमनी स्तुति ॥
॥ कनक तिलक भाले ॥ ए देशी ॥ __ अरनमि जिणंदा, टालिया दुखदंदा ॥ प्रभुपास जिणंदा, जन्मे पूज्या महिंदा ॥ दशमी दीन अमंदा, नंदमा कंद कंदा॥ भविजन अरबंदा. शासने जे दिणंदा ॥१॥ अर जन्म सुहावे, वीरचारित्र पावे ॥
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