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सुविशेष ॥ दुख दुरित इति समंत सघले, विघन कोडी हरंत ॥ जिनराय ध्याने तनेतन नय लीना, ज्ञान विमल गुणवंत ॥ ४॥
॥ अथ आठमनी स्तुति ॥
॥ प्रह उठी बंदु ॥ ए देसी ॥ ॥अभिनंदन जिनवर परमानंद पद पामे ॥ वली तीम नेमिसर, जन्म लही शिव कामे ॥ तिम मोक्ष च्यवन बेहु, पास देव सुपास, आठमने दिवसे सुमति जन्म सुप्रकाश ॥ १॥ वली जन्मने दिक्षा, ऋषभ तणा जिहां होय ॥ सुव्रत जिन जन्म्या. संभव च्यवनुं जोय ॥ कळी जन्म अजितनो, इम इग्यार कल्याण ॥ संप्रति जिनवरना,आठमने दिन जाण॥२॥ जहां प्रवचन माता, आठम तणो विस्तार ॥ अडभंगीए जाणो, सवि जग जीव विचार ॥ ते आगम आदर, आणीने आराधो । आठमने दिवसे, आठ अक्षय सुख साधो ॥३॥शासन रखवाली, विद्यादेवी सोल ॥ समकितनी सानिध्य, करती छाकम छोल ॥ अनुभव रसलीला, आपे सुजश जगीस ॥ कवि धीरविमलनो, ज्ञान विमल कहे शास. ॥ ४॥
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