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सिवे दश देव || करो त्रण वाद्यता ए, असंख्या होय दोय हेव ॥ न० ॥ १९ ॥ हवे विष मोक्ष रश्रेणि छे ए, सुणो स्वरुप तुमे तास ॥ मांगिए पाटलो ए, थापना करिए खास ॥ न० ॥ २० ॥ हेठलो उपर जाणिइ ए, गडाओगणत्रिस सार || अनुक्रमे मांडिये ए, नथी खेप आदि ठार ॥ न० ॥ २१ ॥ डूंग पण नव तेर सत्तर साए, बाविस खट अड बार || चौद अठाविस वली ए, छबीस पचविस सार ॥ न० ॥ २२ ॥ एकादस त्रेविस वलि ए सडतालिस सित्तेर ॥ सित्तोतेर इग दुग ए, सित्यासि इकोतेर ॥ न० ॥ २३ ॥ बासठ अगणोत्तर भला ए, चोविस छैतालिस ॥ वलि सत मुकिइ ए, तिम भेलो छव्वीस ॥ न० ॥ २४ ॥ इम भेल्याथि एकांतरे ए, मोक्ष सर्वारथ जाय ॥ अनुक्रमे लिजीइ ए, निज गुण भोक्ता थाय ॥ न० ॥
।। २५ ।।
॥ ढाल || चोथी | एकविसानि ॥
॥ इम करतारे त्रण सिवे पांच देवता, अडसी - धेरे बार विमानने सेवता ॥ इम जावतरे स उत्तर
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