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सुर थया, ओगणत्रिसरे पाटनते सिवमागया ॥२६॥ त्रुटक ॥ गया सिवमा एम मांडो, ओगणत्रिस उरध अधे ॥ अंक नेलो पूर्वनि परे, देव सिव मारग सधे ॥ २७ ॥ इम जाणोरे अंक अंत आवे हवे, तेह डंडि. कारे आगलमा आदिग्वे ॥पेहले अंकेरे पेहलि दंडिका सिध करो, बीजी दंडिकारे प्रथम अंक सरमा धेरा ॥२८॥ त्रुटक ॥ धरो सुरमा एह अनुक्रमे, धारो गुरु पासे रहि ॥ अजीत स्वामितातजावत, उपजे तिहां लगे कहि ॥ २९॥ असंख्यातिरे कोडि लाख इंम दंडिका, सिधने वलिरे सर्वारथ अखमिका॥इंम प्रकरणरे सिध दंडिकामा कां, नंदिसत्र निरे वृत्ति माहे पण इम लघु ॥ ३०॥ त्रुटक० ॥ इंम लघुवृत्ति गुरु पासे, पामि अर्थ में भाखीओ. स्वपरने परकास हेते, स्तवन करी चित राखीओ ॥३१॥ सास्वता सुखरे ज्ञान दर्शन माहि रहे, फरि भवमारे सिध थया ते नवि भमे ॥ जेहनु सुखरे मुखथी कहिए केटलु, उपमा विणरे सुं कहि दार्खा केटलं ॥३२॥ एटलु अजर अमर निर्मम, जास ज्योति प्रगट थ६॥ सिद्ध परम समृद्धि
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