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डीए, जपे गोयम गुण जपमालडीए || पहोतलो परव दीवालडीए, रमे रस भर रामत बालडीए ||२|| शोक संताप सवि कापीओए, इंद्रे गांयम वीरपदे थापीओए ॥ नारी कहे सांजल कंतडाए, जपो गोयम नाम एकंतडाए || ३ || ल्यो लख लाभ लखेशरी ए, यो मंगल कोडी कोडेशरी ए ॥ जाप जपो थइ सुतपेसरी ए, जीम पामीए ऋद्धि परमेसरी || ४ || लहिएं दिवालडी दाडलो ए, एतो पुण्यनो टबको टालुओए । सुकृत सिरि दृढ करो पालडीए, जिम घर होय नित्य दिवालडीए ॥ ५ ॥
॥ दाल दशमी ॥
हवे मुनिसुव्रत सीसोरे, जेहनी सबल जगीसो ॥ ते गुरु गजपुरे आव्यारे, वादी सवि हार मनाव्या ||१|| पावस चउमासुं रहियेरे, भवियण हइडे गहगहीयारे ॥ नमुचि चक्रवर्त्ति पद्मरे, जसु हियडे नविहु छद्म ॥२॥ नमुचि तस नामे प्रधानरे, राजा दिये बहु मान || ति तिहां रिजवी रायरे, मागि मोटो पसाय ॥ ३ ॥ लियो पट खं राजरे, सात दिवस मांडि
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