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३८३ साची हो जिन साची चित्त अवधार. कीधी हो में कीधी ताहरी चाकरीजी ॥३॥ तरशुं हो जिन तरशुं जो तपसाधि, तुमची हो प्रभु तुमची तिहां मोटिम कीसीजी ॥ देस हो जिनदेइसतुंहिं. समाधि, एवडी हो प्रभु एवडी कांइ गाढिम इसीजी ॥ ४ ॥ छेहेडो हो जिन छेहेडो साह्यो आज. मोहोटी हो प्रभु मो. होटी में आशा करीजी ॥ दीधा हो विण दीधा विण माहाराज, छूटीस हो किम छूटीस किम विण दुःख हरीजी ॥५॥ भव भवहो जिन भव भवें सरणु, तुऊ, होजो हो जिन होजो कहूं केतुं वलीजी ॥ देजो हो जिन देजो सेवा मुज, रंगे हो जिन रंगे प्रणभुं लली ललीजी ॥६॥ त्रीजी हो, एह त्रीजी पुरी ढाल, प्रेमें हो जिन प्रेमें कांतिविजय कहेजी ॥ नमतां हो जिन नमतां नेमि दयाल मंगल हो घर मंगल माला मह महेजी ॥७॥
॥ कलश ॥ एम सकल सुखकर, दुरित दुःखहर, भविक तरु नवजल धरु ॥ भव ताप वारक, जगत तारक, जयो जिनपति जगगुरु ॥१॥ सत्तर सय ओग
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