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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोपट ने गजराज ॥ सारस हंस कोयल तीतरने वली मोर जी, मामी लावशे रमवा नंद तमारे काज ॥ ॥ हो० ॥ ११ ॥ छप्पन कुमरी अमरी जलकलशे नव राविया, नंदन तमने अमने केलीघरनी मांहे ॥ फूल नी वृष्टि कीधी योजन एकनें मंडले, बहु चिरंजीवो आशीष दीधी तुमने त्यांहे।।हा॥१२॥तमने मेरु गिरि पर सुरपतिये नवराविया, निरखी निरखी हरखी सुकृत लाभ कमाय ॥ मुखडा उपर वारं कोटि कोटि चंद्रमा, वली तन पर वारं ग्रहगणनो समुदाय ॥ हा ॥ १३॥ नंदन नवला भणवा निशाले पण मूकशं, गजपर अं बाडी बेसाडी मोहोटे साज ॥ पसली भरशुं श्रीफल फोफल नागरवेलझुं, सुखडली लेशुं नीशालीयाने काज ॥ हा० ॥ १४ ॥ नंदन नवला मोहोटा थाशो ने परणावगुं, वहवर सरखी जोमी लावशुं राजकुमार ॥ सरखा वेवाई वेवाणुंने पधरावशें, वरवहु पोखी लेशुं जोइ जोइने देदार ॥ हा० ॥ १५ ॥ पीअर सासर माहारा बेहु पख नंदन उजला, महारी कूखें आब्या तात पनोता नंद ॥ महारे आंगण वुठा अमृत दुधे For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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