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मेहुला, महारे आंगण फलिया सुरतरु सुखना कंद ॥ हा० ॥ १६ ॥ इषि परें गायुं माता त्रिशला सुतनुं पालं, जे कोइ गाशे लेशे पुत्र तणा साम्राज ॥ बीली मोरा नगरें वरणव्युं वीरनुं हालरुं, जय जय मंगल होजो दीप विजय कविराज ॥ हा० ॥ १७ ॥ इति || श्री पार्श्वनाथ स्तवन | ॥ पारणानी देशी ॥
|| माता वांमादे बोलावे जमवा पासने, जमवा वेला थइछे रमवाने चित जाय ॥ चालो तात तुमारा बहु थाये उतावला वहेला हालोने भोजनीया टाढा थाय ॥ माता० ॥ १ ॥ मातनुं वचन सुणीने जमवाने बहु प्रेमशुं, बुद्धी बाजोट ढाली बेठा थइ हुंशीयार ॥ विनय थाल अजुयाली लालन आगल मूकीयो, विवेक वाटकीयो सोभावे थाल मझार ॥ माता० ॥ ॥ १ ॥ समकित सेलमीना बोलीने गट्टा मूकीया, दाननां दाढम दाणा फोली आप्या खास || समता सिताफलनो रस पीज्यो बहु राजीया, जुक्ती जामफल प्यारा आरोगोने पास || माता० ॥ ३ ॥ मारा
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