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घणा, तिहां डरतणो नहिं पारोरे ॥६॥ साहा मेघो एणी परे चिंतवे, हवे मुझने कवण आघारोरे ॥ तिहां जक्ष आवीने एम कहे, तुं मत करे फिकर लिगाररे ॥६३॥ सा० ॥ तिहां वेल हांकिने चालियो, आब्यु उजड गोमिपुर गामरे ॥ तिहां वाव सरोवर कुवा नहि, नहिं मोल मंदिरने ठामरे ।। ६४ ॥सा०॥ तिहां वेल थंभाणी हाले नहि, तव साह हुओ दिलगीररे ॥ मुझ पासे नथी कोइ दोकडो, केम भांजसे मुझ मन भीडरे ॥६५॥ स०॥तिहां रात पडी रवि आथम्यो, चिंतातुर थइने बेठोरे ॥ सामे घाभणी आवी कहे, सोहणामां हैं जक्ष एकांतोरे ॥ ६६ ॥ सा० ॥ हवे सांजल मेघा हूं कहुं, आव्यो छे गोडिपुर गामरे ॥ मोटो देरासर करजे इहां, उत्तम जोइने ठामोरे ॥ ६७ ॥सा॥ तुं जाजे दक्षिण दिशभणी, तिहां पडयुं छे लीबुंछाएं रे ॥ तिहां कुओ उमटसे पाणीतणो, वलि प्रगटसे पाणीनी खाणरे ॥६८॥ सा०॥ पासे उग्यो छे उजल आकडो, ते हेठल छे धन बोहोळोरे ॥ पुर्यो छे चोखातणो साथिओ, तिहां पाणीतणो कुवो पोतोरे ॥ ।। ६ए॥ सा०॥
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