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॥ ५५ ॥ सुणजो वात सुहामणी ॥ ए प्रतिमा पूजो तमे, जाव आणीने चित्त ॥ मे० ॥ बार वरस लगे तिहां, पूजे खरचे वित्त ॥ मे० ॥ ५६ ॥ एक दिन सुहणे एम कहे, मेघासाने वात ॥ मे० ॥ तुं अमसाथे आवजे, परवारि परभात ॥ मे ॥ वेल लेजे नावलतणी, चारण जात छे तेह ॥ मे० ॥ देवानंदा अंकतणी, दोय वृषभ छे जेह ॥ मे० ॥ ५७ ॥ वेल खेडे तुं एकलो, मत लेजे कोइ साथ ॥ मे०॥ थलावडी भणी हांकजे, मुझने राखजे हाथ ॥ मे० ॥ ॥ ५८ ॥ एम मेघाने विनवी ॥ जक्ष गयो निज ठाम ॥ मे०॥ रवि उगे मेघे तिहां, करवा मांडयो काम ॥ मे० ॥ ५९ ॥ वेल लीधी भावलतणी, वृषभ आण्या वली दोय ॥ मे० ॥ वेल जोडी स्वामितणी, ते जाणे सह कोय ॥ मे० ॥ ६०॥ तव मेघो ते वेलने, खेडि चाल्यो जाय ॥मे०॥ अनुक्रमे मारग चालतां, आव्या थलावमी माय ॥ मे० ॥ ६१ ॥
॥ ढाल ॥ ७॥ तिहां मोटाने छोटा थल घणां, दिसे वृक्षतणो नहि पारोरे ॥ वली भूतप्रेत व्यंतर
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