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॥ ढाल ॥ ८ सीता रूपे रुडी ॥ ए देशो ॥ सिलावट सिरोही गामे, तिहां रहे छे चतुर बहु कामे हो ॥ शेठजी सांजलो ॥ रोग छे तेहने, शरीरे, नमj करी छांटजे नीर हो ॥ शे० ॥ ७० ॥ रोग जाशे ने सुख थाशे, बेठो इहां काम कमासे हो ॥ शे० ॥ जक्ष गयो एम कहीने, करे शेवजी उद्यम वहिने हो ॥ ॥ शे० ॥ ७१॥ ज्योतिष निमित्त जोवरावे, देरासरपायो ममावे हो ॥ शे० ॥ शिलावटने तेडावे, वली धननी खाण खणावे हो ॥ शे० ॥ ७२ ॥ गोडिपुर गाम वसावे, सगासाउंने तेडावे हो ॥ शे० ॥ एम करतां बहु दिन बीतां, थयो मेघो जगतवदिता हो । ॥ शे० ॥ ७३ ॥ एक दीन सा काजल आवी, कहे मेघाने वात बनावी हो ॥ शे० ॥ ए काममां भाग अमारो, अरध तारो ने अरध मारो हो ॥शे॥७४ ॥ एम करी देरासर करिए, जिम जगमां जश वरिजे हो ॥ शे० ॥ हवे मेघो कहे तेहने, दाम जोइए छे केहने हो ॥शे०॥७५॥ स्वामिजीने सुपसायें, घणा दाम छे भाइ आंहिं हो ॥ शे० ॥ एक दिन कहेता आम,
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