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एक कोड आठ लाख सोनइया, दीन दीन प्रभुजी आपे ॥ इम संवच्छरी दान दइने, जगनां दारिद्रय कापेरे॥ हमचडी० ॥८॥ छांड्यां राज अंतेउर प्रभुजी, नाइए अनुमति दीधी ।मृगशीर वद दशमी उत्तराये, वीरे दीक्षा लीधीरे॥ हमचडी० ॥९॥ चउनाणी तिण दीनथी प्रभुजी, वरस दिवस झाझेरे ॥ चिवर अर्ध ब्राह्मणने दीधुं, खंड खंड वे फेरा रे ॥ हमच० ॥१०॥ घोर परिसह साढा बारे, वरसे जे जे सहीया ॥ घोर अनिग्रह जे जे धरिया, ते नवि जाये कहीयारे हमचडी ॥ ११ ॥शूलपाणीने संगमदेवे, चंडकोसी गोसाले ॥ दीधुं दुखने पायस रांधी, पग उपर गोवालेरे ॥ ॥ हमचडी ॥ १२ ॥ काने गोपे खीला मायाँ, काढता मुकी राढी ॥ जे सांभळतां त्रिभुवन कंप्यां, पर्वत शिला फाटीरे ॥ हमचडी ॥ १३ ॥ ते तें दुष्ट सहु उधरीया, प्रभुजी पर उपगारी ॥ अडद तणा बाकुला लइने, चंदन बाला तारीरे ॥ हमचमी ॥ १४ ॥ दोय छ मासी नव चउ मासी, अढी मासी त्रणमासी ॥ दोढ मासी बे बेकीधा, छकीचां बेमासीरे ॥ हमचमी
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