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१८६ ॥ ढाल ॥२॥ सोरीपुर नयर सोहामj, जगजीवनारे नेम ॥ समुद्रविजय नरपाल तो, दीलरंजनारे नेम ॥ चविया अपराजित थकी, जग जीवनारे नेम ॥ कारतक वद बारस दीनहो, दील रंजनारे नेम ॥१॥ शीवा देवी कुखे अवतर्या ॥ जग० ॥ मान सर जिम मराल हो ॥ दील० ॥ श्रावण शुदो दीन पंचमी ॥ ॥ जग० ॥ प्रसव्यो पुत्र रतनहो ॥ दील० ॥२॥ जोबन वय प्रभु आवीया ॥ जग० ॥ नील कमल दलवान हो ॥ दी० ॥ परणो सुंदर सुंदरी ॥ ॥जगण॥ इम कहे गोपी कान हो । दी० ॥३॥ श्री उग्रसेननी कुंवरी ॥ जग० ॥ वरवा कीधी जान हो ॥ दील० ॥ पशु देखी पाछा वल्या ॥ जग० ॥ हुवा जादव कुल हेरान हो ॥ दील० ॥ ४ ॥ तोडे हारने तीहां रडे ॥ ॥ जग० ॥राजुल दुःख न माय हो ॥ दील०॥ कहे पीयुजी पाये पहुं ॥ जग० ॥ छोडी मुने मत जाओ। ॥ दील० ॥ ५॥ कीडीसुं कटक कीकरो ॥ जग० ॥ ए तुम कुण आचार हो ॥दी०॥ माणसना दील दुहवो ॥ जग० ॥ पशुआंशुं करो प्यारहो ॥ दील० ॥ ६ ॥
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