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॥ढाल॥ निरुपण नयरी वणारसी जी, श्रीअश्वसेन नरिंदतो ॥ वामा राणी गुण भर्याजी, मुख जिम पुनम चंद तो॥ भवी भाव धरीने प्रणमो पास जिणंदतो ॥१॥ ए आंकणी ॥ प्राणत कल्प थकी चव्याजी, चैत्र वदी चोथने दीन तो।। तेहनी कुखे अवतर्याजी, प्रभु जिम किंदर सिंह तो ॥भवि०॥२॥ पोस बहुल दशमी दीनेजी, जन्म्या पास कुमार तो ॥ जोबन वय प्रभु आवीयाजी, वरीया प्रभावती नारी तो। भवि० ॥ ३॥ कमठ तणो मद गालीयोजी, उधयों नाग सजोर तो ॥ वद अगीआरस पोसनी जी, संजम लीये ऋद्धि छोमतो ॥ भवि०॥ ४॥ गाज विज ने वायरो जी, मुसलधार मेघ तो ॥ उपसर्ग कमठे कोजी, धरणेंद्र निवार्या तेह तो ॥भवि०॥५॥ कर्म खपावी केवल लहीजी, चैत्रवदी चोथ सुजाणतो ॥ श्रावण शुद दीन आठमेजी, प्रभुजीनुं नीवोण तो ॥ ॥भवि०॥ ६॥ एकसो वरसनुं आउखुंजी, पास चरित्रे का एम तो, वरस चोरासी सहसनुं जी, आंतरु पासने नेम तो ॥ भवि०॥ ७॥
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