________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
૨૮૨ ॥ वीस वरसनु आउखूजी, बार वरस घर वास ॥ चार वरस मुनिवर पणुंजी, वरस चार गछ धार ॥ सो॥२॥ फुलुक श्रीनामे साधवीजी, नायल श्रावक सोय ॥ सत्यश्री नामे श्राविकाजी, संघ चतुर्विध होय ॥ सो० ॥ ३ ॥ सुविहित संघ छेलो सहीजी, अल्प आउखुरे त्यांही । संघश्रुत श्रेय वलीजी, जाशे पोरज माहे ॥ सो० ॥ ४ ॥ विमल वाहन नरपति जी,सुधर्म मंत्रीरे जेह॥ न्याय नीत अग्नि जशेजी, वळी मध्यान्हे तेह ॥ सो० ॥५॥
॥ दुहा ॥ जैन धर्म एतां लगे, पछी नहीं पुन्य दान ॥ वायु मेघ भुंडा हशे, सुण गौतम तस मान॥१॥ ॥ढाल॥११॥ राग सारंग ॥ मगध देशनो राजा राजेसर ॥ए देशी।।
॥मान प्रकाशे मेघज केरु, पेहेलो ते जलधार ॥ बीजो अग्नितणो तिहां होशे, त्रीजो ते विषधार हो। गौतम सुणतुं मधुरी वाण ॥ १॥ चोथो आंबिलनो घन वरसे, वीजलीनो वरसाद ॥ एकेको मेघ त्यांहि वरसे, वासर रातज सात हो ॥ गो० ॥ २॥ बोतेर बोल वैताठ्यज केरा, छे वळी शाश्वता त्यांय ॥ नर
For Private And Personal Use Only