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१८१ ॥ माता जसोदारे ब्राह्मणी, होशे तीहां अवतार रे ॥ दुर्गति गामी रे ते सही ॥१॥ चैत्र सुदीरे आठम दिने, विष्टिए जनम ते होयरे॥ देहवरण तस उजलं, पीलां लोचन दोइरे ॥ दु० ॥ २ ॥ रुद्र कलंकी चतुमुंखा, ए होशे त्रणज नामो रे॥छासी वरसनुंआउ, पाटलीपुर जस गामरे॥ दु०॥३॥छट्टो नागज भीखनो, लेशे कलंकी राय रे ॥ षट दरसणरे माने नहीं, दंग कुदंड थायरे ॥ दु० ॥ ४॥ इंद्र इहां पछे आवशे, धरशे विप्रनुं रूपरे ॥ वेगे हणशेरे रायने, लेशे नरकर्नु कूपरे ॥ दु० ॥ ५ ॥
॥दुहा ॥ तेहनो सुत सुंदर हशे, दत्त भूप, अभिराम ॥ शत्रुजय उद्धार करावशे, राखे जगमा नाम ॥१॥ ॥ ढाल १० ॥ रागरामगिरी ॥ प्रणमी तुभ गुरुजी ॥ ए देशी ॥
॥आगल आरे पांचमेजी, दुप्पसह मुनिवर होय।। सुरगति मांहेथी आवशेजी, आगल सुरपति सोय ॥ सोभागी छेहलो मुनिवर एह ॥१॥ ए आंकणी॥छेहेलो संघ दुप्पसह तणोजी, आण न खंडे तेह ॥ सोभागीय
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