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तोथी मनोहरु | हां वेलणा राणी सुंदरी, शियल वती सीरदाररे || ला० ॥ श्रेणीक सुत बुध छाजता, नामे अभय कुमाररे ॥ ला० || अ० ॥ २ ॥ हां० वर्गणा आठ मीटे, एहथी अष्ट साधे सुख निधानरे ॥लाला ॥ अष्ट मद भाजे वज्र छे, प्रगटे समकित निधानरे ॥ ला० ॥ अ० ॥ ३ ॥ हां० अष्ट भय नासे एहथी, अष्ट बुद्धि तणो भंडाररे० ॥ लाला ॥ अष्ट प्रवचन ए संपजे, चारित्र तणो अणगाररे ॥ ला० ॥ अ० ॥ ४ ॥ हांο अष्टमी आराधन थकी, अष्ट करम करे चकचूररे || लाला० ॥ नवनिधि प्रगटे तस घरे, संपुरण सुख भरपुररे, ला० ॥ अ० ||५|| हां० अडदृष्टि उपजे एहथी, शीव साधे गुण अंकुररे || लाला०|| सिद्धना आठगुण संपजे, शीव कमला रुपसरूपरे || ला० ॥ अ० ॥ ६ ॥
॥ ढाल ॥ २ ॥ जीहो राजग्रही रळीयामणी, जीहां वीरे वीर जीणंद ॥ जीहो समवसरण इंद्रे रच्युं, जीहों सुरासुरनी वृंद ॥ १ ॥ जगत सहुं वंदे वीर जीणंद ॥ ए आंकणी ॥ जीहो देवरचीत सिंहासने || जीहो बेठा वीर जीणंद ॥ जीहो अष्ट प्रतिहारज शोभता ॥
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