________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
नाथ जीनजी नमुं ॥ सुणो० ॥ अष्टादशमो अरिहंत ॥ ए भगवंत || भवि० ॥ उज्वल तिथि फागुणनी जली ॥ सुणो० ॥ वरीया शीव वधु सार ॥ सुंदर नार ॥ भवि० || ३ || दशमा शीतल जिनेसरु ॥ सुणो० ॥ परम पदनी वेल ॥ गुणनी गेल || भवि० || वैशाख वदी बजिने दिने ॥ सु० ॥ मुक्यो सरव ए साथ || सुरनरनाथ || भवि० ४ ॥ श्रावण सुदनी बीज जली ॥ सुणो० ॥ सुमतिनाथ जिनदेव || सारेसेव ॥ भवि० ॥ इण तिथिए जिनभला ॥ सु० ॥ कल्याणक पंचसार ॥ भवनोपार || भवि० ॥ ५ ॥
|| ढाल || २ || जगपति जिन चोर्वासमोर लाल, ए भाख्यो अधिकाररे ॥ भविकजन || श्रेणिक आदे सहुं मल्यारे लाल || शक्ति तणे अनुसाररे भविकजन, भाव धरीने सांभळोरे लाल ॥ आराधो धरी खंतरे ॥ भविक० ॥ १ ॥ दोयवरस दोयमासनीरे लाल, आराधो धरी हेतरे ॥ भ० ॥ उजमणुं विधिशुं करोरे लाल, बीज ते मुगति महंतरे ॥ भ० ॥ भा० ॥ २ ॥ मारग मिथ्या दुरे तजोरे लाल, आराधो गुण नाथरे
For Private And Personal Use Only