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Achar
लाख ॥ जेह अखीण महानसीरे, सत्तावीसमी भाख॥ चतुर० ॥ ५ ॥ चूरे सेन चक्रीशनीरे, संघादिकने कामं ॥ तेह पुलाक लबधि कहीरे, अठ्ठावीसमीनाम ।। चतुर० ॥ ६ ॥ तेज शीत लेश्या बि एहरे, तिम पूलाक विचार ॥ भगवती सूत्रमें भाखीयारे, ए तिहुनो अधिकार ॥ ७ ॥ चक्रवर्ती बलदेवनीरे, वासुदेव त्रण एह ॥ आवश्यक सूत्र अछरे, नहीं इहा सदह ॥ चतुर ॥ ८॥ पन्नवणा आहारगीरे, कल्पसुत्र गणधार॥ तिन तिन एक एक मलीरे, वारु आठ विचार ॥ चतुर ॥ ९ ॥ प्रश्नव्याकरण ए कहीरे, बाकी लबधि वीश ॥ सांभलतां सुख उपजेरे, दीलहुय निस दिस॥ चतुर० ॥१०॥ ___कलस ॥ संवत सतरसें छवीसे, मेर तेरस दिन भले ॥ श्रीनगर सुखकर, बुणकणसर, आदि जिन सुपसाउले ॥ १ वाचनाचारिज सुगुरु सानिधि विजय हरख विलासए ॥ कहे धर्मवरधन स्तवन भणतां, प्रकट ज्ञान प्रकाशए ॥२॥ इतिश्री लबधि अठ्ठावीस स्तवन सम्पूर्ण ॥
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