SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir [१६] रभी देव द्रव्य संबंधी सर्व शंकाओंका समाधान व साधारण द्रव्यकी वृद्धि के लिये उपायवगैरह बहुतबातोंके खुलासे समाधान देवद्रव्य निर्णय' नामा पुस्तक लिखनेमे आवेंगे. निवेदन और उपकार. इसग्रंथकी कोईबात समझमें न आवे, या वांचते २ कोई शंका होवे, तो इस ग्रंथके कर्ताको लिखकर खुलासा मंगवानेका सबको हक है, ग्रंथ संबंधी सब तरहका जवाबदार लेखक है. . इस ग्रंथमें अनुमान ३०० शास्त्रोंके प्रमाण बतलाये गयेहैं, इस ग्रंथके बनवाने संबंधी शास्त्रोंके संग्रह करने वगैरहमें, श्रीमान् जि. नयशसूरिजीमहाराज, श्रीमान् शिवजीरामजीमहाराज, श्रीमानजिन चारित्रसूरिजीमहाराज,श्रीमान् कृपाचंद्रसूरिजीमहाराज, पन्यासजी श्रीमान् केशरमुनिजीमहाराज,पं०श्रीमान् गुमानमुनिजीमहाराज और कलकत्तानिवासी उ.श्रीमान् जयचंद्रजीगणि व रायबहादुर बद्रीदास जीजौहरीवगैरहोंने जो जो मदतदीहै, उनका मैं उपकार मानता हूं. संवत् १९७८ वैशाख शुदी ३. हस्ताक्षर मुनि-मणिसागर. बिनाकिंमतभेटसे पुस्तक मिलनेके नाम व स्थान. यहग्रन्थ एकहजार पृष्ठकाबडाहोनेसे दो विभागमें प्रकटकियाहै. १ बृहत्पर्युषणा निर्णय पूर्वाद्ध, प्रथम-दूसरा खंड. २ बृहत्पर्युषणा निर्णय उत्तरार्द्ध, तीसरा खंड. ३ लघुपर्युषणा निर्णयका प्रथम अंक. .. ४ प्रश्नोत्तर विचार. ५-६-७ प्रश्नोत्तर मंजरीके १-२-३ भाग. ८-९ हर्षहृदय दर्पण १-२ भाग. १० आत्मभ्रमोच्छेदन भानुः. यह ग्रन्थभी छपनेवाले हैं. १ देवद्रव्यनिर्णय. २ न्यायरत्न समीक्षा. ३ प्रवचनपरीक्षा निर्णय. १ श्रीमद् अभयदेवसूरि ग्रन्थमाला कार्यालय, ठे० श्रीजैनश्वेतांबर मित्रमंडल केनिंगस्ट्रीट नं. २१, मु०-कलकत्ता. २ श्रीमद् अभयदेवसूरि ग्रन्थमाला कार्यालय, ठे० बडा उपाश्रय देश-मारवाड, मु०-वीकानेर. ३ श्रीजिनदत्तसूरिजी शानभंडार, ठे० गोपीपुरा-शीतलवाडी देश-गुजरात, मु०-सुरत. ४ जौहरी माठूमल्लजी धनपतसिंहजी भणशाली, सुंदरबील्डिंग ठे० फतहपुरी, मु०- दिल्ली. For Private And Personal
SR No.020134
Book TitleBruhat Paryushananirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar Maharaj
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages585
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy