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वञ्चुकः
९२५
वण्ट्
वडभः (पुं०) संकुचित हाथ-पांव वाला मनुष्य। वडवा (स्त्री०) [बलं वाति-बल+वा+क+टाप्] घोड़ी। ०वेश्या, रण्डी।
अग्निा वडवाग्निः (स्त्री०) वडवानल, अरण्य अग्नि। (जयो०७/७२)
समुद्राग्नि। वडवानलं (नपुं०) अरण्याग्नि, समुद्र की अग्नि। वडवामुखः (पुं०) समुद्र के अंदर रहने वाली आग। वडा (स्त्री०) [वड्+अच्+टाप्] बड़ा, दाल की बनी हुई बांटी। वडिशं (नपुं०) [बलिनो मत्स्यान् श्यति नाशयति] ०वंशी
'मीनोऽसौ वडिशस्य मांसमुपयन्मृत्यु समापद्यते।
(सुद० १२७) . वण (सक०) शब्द करना, ध्वनि करना। वणिज (पुं०) [पणायते व्यवहरति पण इजि पस्य वः] व्यापारी,
सौदागर। वणिक्कर्मन् (नपुं०) व्यापार कर्म। वणिक्कर्मार्यः (पुं०) बहुमूल्य वस्तुओं की बिक्री करने वाला
व्यापारी।
वञ्चकः (पुं०) गीदड़! वञ्जलः (पुं०) [वञ्च+इलच्] बेंत, नरकुल।
एक पक्षी विशेष। ०अशोक वृक्ष!
रम्य, सुंदर। (जयो० ७/९८) वञ्जुलद्रुम (पुं०) अशोक वृक्ष। वट् (सक०) घेरना।
०कहना, बांटना, विभाजन करना, घेरा डालना। वटः (पुं०) [वट्+अच्] बड़ का पेड़। (सुद० १२९, हित०
४७) कौड़ी। गोलिका. छोटी गेंद, अंटी, वटिका।
डोरी, रस्सी। वटकः (पुं०) नमकीन।
०बड़ा चुम्बन। (जयो० १२/१२४)
[वट+कन्] बाटी, एक गोल, आटे से निर्मित बाटी।
०छोटा पिंड, गेंद, वटिका। वटपत्रं (नपुं०) चमेली पुष्प। वटरः (पुं०) [वट्+अरन्] मुर्गा, कुक्कुट।
चटाई। •पगड़ी। चोर, लुटेरा।
सुगन्धित घास वटाकरः (पु०) डोरी, रस्सी। वटिकः (पुं०) [वट्+इन् कन्] शतरंज का मोहरा। वटिका (स्त्री०) [वट+इन्+कन्+टाप्] टिकिया, गोली। वटिन् (वि०) [वट्+इन्] डोरीदार. मंडलाकार. गोलाकार। वटिन् (पुं०) वटिक, गेंद, कन्दुक। वटी (स्त्री०) [वट्+अच्+ ङीष्] ०डोरी, रस्सी, धागा।
वटिका। वटीवलनं (नपुं०) रज्जुसम्पादन, रस्सी बांटना। (जयो० २६/६८) वटुः (पुं०) [वटति अल्पवस्त्र-वट+उ] ०लड़का, बटुक, किशोर।
ब्रह्मचारी। वटुकः (पुं०) [वटु+कन्] लड़का, छोकरा, किशोर, बालक। वठ् (अक०) मोटा होना, शक्तिशाली होना। वठर (वि०) मन्द बुद्धि वाला। वठरः (पुं०) मूढ, मूर्ख, बुद्धिहीन। 'निभालयामो' वठरं ।
जगज्जनम्' (वीरो० ९/१) वैद्य, चिकित्सक। जलपात्र।
वणिक्क्रिया (स्त्री०) क्रय-विक्रय व्यापार। वणिजनः (पुं०) व्यापारी, व्यवसायी, व्यवहारी। वणिजनः (पुं०) व्यापारी वर्ग, निगम। (जयो० २/११३) वणिक्तुजः (पुं०) वैश्य बालक। (समु० ४/३) वणिक्पथः (पुं०) व्यापार, क्रय विक्रय. विपणि प्रदेश, बाजार
(सुद० १/३२) व्यापार केन्द्र, विपणिस्थान। (वीरो० २/१७)
सौदागर, (वीरो० २/२६) आपणिका, दुकान। वणिकवश (पुं०) सौदागर, सेठ। (सुद० २/४) वणिकवृत्तिः (स्त्री०) व्यापारिक क्रिया, व्यापार, सौदागर।
(वीरो० २२/२६) वणिक्सार्थः (पुं०) व्यापारी वर्ग। वणिगीसः (पुं०) वैश्यपति, सेठ। (सुद० ३/३४) वणिज् (पुं०) [पणायते व्यवहरति पण+इज पस्य वः] व्यापारी,
सौदागर। वणिजः (पुं०) [वणिज्+अच्] सौदागर, व्यापारी। ___ तुलाराशि। वणिजकः (पुं०) सौदागर, व्यापारी। वणिज्यं (नपुं०) व्यापार, क्रय विक्रय। वण्ट (सक०) बांटना, विभाजित करना।
०बनाना, हिस्सा करना।
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