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वण्ट:
९२६
वधक्रिया
वण्टः (पुं०) [वण्ट्+घञ्] हिस्सा, भाग, खण्ड, अंश।
कुंआरा व्यक्ति। वण्टकः (पुं०) [वण्ट्+घञ् स्वार्थे क] बांटने वाला. * वितरण
करने वाला। विभाजन।
वितरक, हिस्सा, अंश, भाग। वण्टनं (नपुं०) [वण्ट+ ल्युट्] विभाजन, विभक्त करना,
बांटना, हिस्सा करना। वण्टालः (पुं०) [वण्ट्+अलच्] ०कुदाल, खुर्पा। ०नाव। वण्ठ् (सक०) एकाकी जाना। वण्ठ (वि०) [वण्ठ्+अच्] विकलांग। ___०अविवाहित। वण्ठः (पुं०) कुआरा व्यक्ति, सेवक, ठिगना। वण्ठरः (पुं०) [वण्ड्+अरन्] ०बांस का आवेष्टन।
रस्सी। ०कुत्ता, श्वान। वण्ड् (सक०) बांटना, हिस्से करना, घेरना, आवेष्टित करना। वण्ड (वि०) [वण्ड्+अच्] अपांग, विकलांग अपाहिज। ___अविवाहित, कुंआरा।। वण्डः (पुं०) जननेन्द्रिय की कमी। वण्डरः (पुं०) [वण्ड्। अरन्] कंजूस।
हिजड़ा। वत् (वि०) संज्ञा शब्दों के साथ लगने वाला प्रत्यय। वतेति खेद
(जयो० ९/८०) वतायं खेदोऽस्ति (जयो० १३/८८) वतेति खेदे (जयो० १२/१४१) 'दुग्धाब्धिवदुज्ज्वले तथा कं' (सुद० ९८) कौमुदं तु परं तस्मिन् कलावति कलावति।
(सुद० ९०) वतंसः (पुं०) [अवतंस्-अच् वा घञ्] मुकुट (जयो० ११/१४)
शिरोमणि (जयो० ६/११२) सिर आभूषण। 'दिगम्बरीभूय
सतां वतंस: ययो महाशुक्रसुवालयं स (वीरो० ११/१४) वतोका (स्त्री०) [अवगत लोक यस्याः अवस्था अकार लोप:]
बांझ स्त्री, नि:संतान स्त्री। वत्सः (पुं०) [वद्+स:] बछड़ा, गाय का बच्चा।
०लड़का, पुत्र। (सुद० ४/ ) (सुद० ३/२२) वत्सं (नपु०) छाती, वक्षस्थल, हृदय। (सम्य० ९६) वत्सकवत् (वि०) बछड़े की तरह। (जयो० ९/७१) वत्सराजः (पुं०) वत्सदेश का राजा। तत्पशााला (स्त्री०) गौशाला। वत्सल (वि०) प्रिय, अतिस्नेही, दयालु, अनुरागी।
वत्सलं (नपुं०) प्रेम, स्नेही। वत्सलताभिलाषी (वि०) स्नेह का इच्छुक। (सुद० १/२१) वत्सा (स्त्री०) [वत्स्+टाप्] बछिया। बहड़ी। वत्सिमन् (पुं०) [वत्स्+इमनिच्] बचपन, कौमार्य, जवानी। वत्सीयः (पुं०) गोप, ग्वाला। वद् (सक०) बोलना, कहना, उच्चारण करना। अवदत् (सुद०
८५) वदामः (सुद० २/२३)
घोषणा करना, समाचार देना, संदेश देना। (वीरो० ५/७) ०संकेत करना, आभास देना। (सम्य० १००)
उद्योग करना, चेष्टा करना। ०लुभाना, फुसलाना, मनाना। संबोधित करना, पुकारना। वक्तुं (सुद० २/२२) अंकित करना, निर्धारित करना। (सुद०८८) विवाद करना। पीयूष कुम्भाविति हन्त कामी वदत्यहो
सम्प्रति किम्वदामि।। (सुद० १०२) वद (वि०) [वद्+अच्] बोलने वाला, कहने वाला। वदनं (नपुं०) [वद्+ल्युट] मुख, चेहरा। (जयो० ६/४८)
(सुद० ११३)
छवि, दर्शन, शरीर। (सुद० ३/२८) वदनैकविद्धि (वि०) सच्चा वक्ता। (समु० १/३५) वदन्ती (स्त्री०) [वद्+झच ङीष] भाषण, प्रवचन। वदन्य (वि०) प्रवाही वक्ता। वदालः (पुं०) बवण्डर, भंवर, तूफान। वदावद (वि०) [अत्यंत वदति-वद्+अच्] अधिक बोलने
वाला, वाक्पटु, बातूनी, वाचाल। वदान्य (वि०) [वद्+आन्य] प्रवाही वक्ता। वदान्यः (पुं०) उदार, दानशील, दाता, अत्युदार व्यक्ति। वदि (अव्य०) चन्द्रमास, कृष्णपक्ष। वद्य (वि०) [वद्। यत्] कहने योग्य। वद्यं (सक०) मारना, प्रवचन, कथन। वधः (पुं०) मारना, हत्या, घात, विनाश, आघात, प्रहार।
प्राणवियोग-'आयुरिन्द्रियबलप्राणवियोगकरणं वधः। (स०सि०६/११)
प्राणी पीड़ा, ताडन, हनन। वधकः (पुं०) जल्लाद, कातिल, हत्यारा। वधकर्माधिकारिन् (वि०) जल्लाद, फांसी देने वाला। वधक्रिया (स्त्री०) घातक क्रिया।
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