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वक्षस्
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वज्र
वक्षस् (नपुं०) [वह+असुन्+मुच च] छाती, वक्षस्थल, हृदय, दुहराना, पाठ करना, घोषणा। सीना। वक्षसो हृदयस्य स्फुरणं। (जयो०वृ० १४/३८)
वाक्य, वाणी, नियम, विधि। (सुद० ४/४२) वक्षजा (स्त्री०) स्त्री का वक्षस्थल।
एकवचन, बहुवचन। वक्षरुहा (स्त्री०) देखो ऊपर।
वचनकर (वि०) आज्ञाकारी, आदेश पालक। उपदेशक। वक्षणं (नपुं०) सम्पत्तिकर। पूर्णकलश, मंगलकलश। वचनकारिन् (वि०) आज्ञाकारी, वचन पालक। (जयो०२६/१)
वचनक्रमः (पुं०) प्रवचन, धारावाह निरूपण। वक्षस्थलं (नपुं०) छाती, उरस्थल।
वचनग्राह्नि (वि०) आज्ञाकारी, अनुवर्ती। वक्षस्फुरणं (नपुं०) हृदय स्फुरण। (जयो० १४/३८) वचनपटु (वि०) कहने में अतुर। वक्षारः (पुं०) वक्षारपर्वत। (भक्ति० ३६)
वचनप्रचारः (पुं०) दिव्यध्वनि (भक्ति० ३३) वक्षागिरि (पुं०) वक्षारपर्वत। (जयो० २४/१४)
वचनविरोधः (पुं०) पाठ विरोध। वख् (सक०) जाना, पहुंचना।
वचनबलं (नपुं०) वचन विषयक व्यापार। वगाहः (पुं०) अवगाह।
वचनामृतं (नपुं०) अमृत रूप वाणी। (वीरो० १३/३३) वकः (पुं०) [वक+अच] नदी का मोड़।
वचनीयर (वि०) [वच्+अनीयर्] कथनीय, निरूपणीय, वङ्का (स्त्री०) [वङ्क+टाप्] मेढ़ी।
प्रवचनीय, कहने योग्य, प्रतिपादित करने योग्य। वकिलः (पुं०) [व+इलच्] कांटा।
निन्दनीय, दूषणीय। वििक्र (स्त्री०) एक वाद्य यन्त्र।
वचनीयं (नपुं०) कलंक, निन्दा। वग् (सक०) जाना, लंगड़ाना।
वचनोच्चारणं (नपुं०) वाक्योच्चारण।(जयो०७० २३/३१) वङ्गरः (नपुं०) वङ्गवासी।
वचरः (पुं०) कुक्कुट, मुर्गा। वङ्गा (पुं०) कपास, बैंगन का पौधा।
निम्नव्यक्ति। वङ्गं (नपुं०) सीसा। रांगा।
०ठग, धूर्त, वाचारल, मुखरी। वङ्गाजः (पुं०) ०पीतल, सिन्दूर।
वचस् (वच्+असुन्) भाषण, वचन, कथन, विधि, आज्ञा, वङ्गजीवनं (नपुं०) चांदी, रजत।
उपदेश, विवेचन। (सुद० ७८)। वङ्गदेशः (पुं०) बंगाल का राजा।
वचसाम्पतिः (स्त्री०) [वचसा वाचां पतिः षष्ठ्या अलुक्] वङ्गदेशनृपः (पुं०) बंगाल का राजा। (जयो० ६/६६)
बृहस्पति, गुरु गृह। वङ्गाधिपतिः (पुं०) वंग अधिपति। (जयो० ६/६५)
वचस्ततिः (स्त्री०) वचनमाला, (सुद०८८) वाक्यावलि। वङ्गाधिपतिः (पुं०) वंग देश का राजा। (जयो० ६/५५) वचस्तम्भः (पुं०) वचन कीलित। (जयो० १९/७२) वच् (सक०) कहना, बोलना, प्रतिपादन करना।
वचोधिदेवता (स्त्री०) सरस्वती, भारती। (जयो० १२/२) वर्णन करना, बखान करना। (सुद० ८४) वाचयेत् वचोधृत (वि०) वचन धारक। (दयो० २/७) (दयो०७६)
वज्र (सक०) जाना, पहुंचना। समाचार देना, संदेश देना।
व्रजः (पुं०) इन्द्र अस्त्र, वज्रायुध, हीरक (सुद० १/२८) घोषणा करना, पुकारना।
वजं (नपुं०) मुदगर, ०इन्द्र अस्त्र। (समु० ६/३९) वचः (पुं०) [वच्+अच्] तोता, शुक।
हीरमणि, विद्युत। (सम्य० ७७) सूर्य दिनकर।
वज्रः (पुं०) सैन्य व्यूह, सैन्य रचना, सैन्य सुरक्षा की पद्धति। वचं (नपुं०) कथन, बात। (सम्य० १२१) वंचन। (जयो० | वज्रं (नपुं०) अभ्रक। ७/८) हि० २१) उपदेश, संदेश। (वीरो० १०/८)
०इस्पात। वचनं (नपुं०) [वच्+ल्युट्] बोलना, कहना।
०कठोर, कठिन। ०उच्चारण, बात, प्रकथन, उक्ति, उद्गार।
आंबलक। ०भाषण, प्रवचन, उद्घोष। (सम्य० ४/)
०बच्चा, बालक।
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