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वंशनाथ:
९२१
वक्वेन्द्र
वंशनाथः (पुं०) वंश प्रमुख, कुलनायक। वंशनिर्माता (पुं०) कुलकर। (जयो०वृ० २।८) वंशनेत्रं (नपुं०) बांस का पत्ता। वंशपत्रकः (पुं०) नरकुल।
पौंड्रा। वंशपत्रक (नपुं०) हरताल। वंशपरम्परा (स्त्री०) कुलरीति, वंशानुक्रम। (जयो०वृ० २/१२४) वंशपूरक (नपुं०) इक्षुमूल, गन्ने की जड़। वंशभागः (पुं०) कुलांश। वंशभेदकर (वि०) गोत्रभिद। (जयो०७० १/४१) वंशभोज्य (वि०) आनुवंशिक। वंशभोज्य (नपुं०) वंश परम्परा की सम्पत्ति। वंशमहीरुहः (पुं०) वेणुवृक्ष, कुलपादप। (जयो० २५/३०) वंशरीति (स्त्री०) कुल परम्परा। वंशलक्ष्मी (स्त्री०) कुल का सौभाग्य। वंशलोचनं (नपुं०) औषधि विशेष। (वीरो० १७/३४) वंशवाद्यं (नपुं०) बांसुरी, वंशे महरे कुतो वंशवाद्यस्यतु समुद्भवः।
(दयो० ४८) वंशविततिः (स्त्री०) परिवार, संतान। वंशशर्करा (स्त्री०) बंसलोचन। वंशशलाका (स्त्री०) बांस की खूटी। वंशस्थिति (स्त्री०) कुल की धारा। वंशिका (स्त्री०) बांसुरी। वंशिवरः (पुं०) गृहस्था (जयो०वृ० १२/१) वंशी (स्त्री०) [वंश+अच्+ङीष्] वाद्य विशेष। (जयो० १२/७७)
बांसुरी, मुरली।
०व्याध, शिकारी। (जयो०) वंशीधरः (पुं०) कृष्ण, वासुदेव।
बंसी बजाने वाला। वंशीधरिन् (पुं०) कृष्ण, वासुदेव, मुरलीधर। वश्य (वि०) [वंशे भवः यत्] कुल परम्परा से सम्बंधित,
मेरुदण्ड से सम्बन्धित। वंश्यः (पुं०) पूर्वज, कुलज, वंशज।
परिवार का सदस्य।
०शहतीर। वकुशः (पुं०) वकुशमुनि, जो उत्तरगुणों को भी अच्छी तरह
नहीं समझ पाया। (सम्य० १४०) वक (पुं०) बगुला।
ठग, धूर्त।
०एक राक्षस, बकासुर। वकिक् (नपुं०) वणिकपथ, ०हारस्थान, विक्रय केन्द्र।
(जयो०२१/७६) वक्क् (सक०) जाना, पहुंचना। वक्तव्य (सं०कृ०) [वच्+तव्यत्] कहे जाने योग्य, कहने
योग्य, प्रकथन योग्य। गर्हणीय, निन्दनीय। दुषणीय। नीच, दुष्ट।
०कवित्वसामर्थ-'वक्तव्यतोऽलंकृति दूरवृत्ते' (वीरो० १/२६) वक्तव्यं (नपुं०) भाषण, कथन, प्रतिपादन।
विधि, नियम, सिद्धान्त, वाक्य। 'सज्ज्ञानेकविलोयन!
वक्तव्यं श्रीमता च तद्भवता। (वीरो० ४/३६) वक्ता (वि०) बोलने वाला। (समु०३/२२) वक्तु (वि०) वक्ता, कहने वाला। (समु० ९/३१) वक्ति (वि०) सूचक। (जयो० ३/१०६) वक्तृ (वि०) [वच्+तृच्] वक्ता, बोलने वाला, कहने वाला।
वाक्पटु, प्रवक्ता। वक्तृ (पुं०) विद्वान् पुरुष, अध्यापक, व्याख्याता।
"सत्यमसत्यं ब्रवीतीति वक्ता' (धव० ९/२२०) वक्त्रं (नपुं०) [वक्ति अनेन वच् करणे ष्ट्रन्] ०मुख, मुह,
बदन। ०थूथन, (जयो०८/६) प्रोथ, चोंच।
आरंभ। ०बाण की नोंक। वक्त्रखुरः (पुं०) दन्त, दांत। वक्त्रजः (पुं०) ब्राह्मण, विप्र। वक्त्रतालं (नपुं०) मुख से बजाया जाने वाला वाद्ययन्त्र। वक्त्रदलं (नपुं०) तालु। वक्त्रपट: (पुं०) परदा, आच्छादन। वकारन्ध (नपुं०) मुखछिद्र, मुख विवर। वक्त्रभेदिन ( ) चरपरा, तीक्ष्ण। वक्त्रवासः (पुं०) संतरा, मौसमी। वक्त्रशोधनं (नपुं०) मुखा साफ करना।
नींबू, चकोतचरा। वक्त्रशोधिन् (पुं०) नींबू, चकोतरा। वक्वेन्द्र (स्त्री०) मुखेन्द्र। (सुद० २/३५)
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