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हद्
दमकना ।
हट् (अक० ) चमकना, उज्ज्वल होना, हट्ट (पुं०) [ हट्+ट टस्य नेत्वम् हा, बाजार, मेला । हट्टपंक्तिः (स्त्री०) विपणि, दुकान का एक रूप होना । (जयो० १३/८९)
हट्टविलासिनी (स्त्री०) वारांगना, वेश्या, पण्डिका । हठ (पुं०) [हद्+अच्] दुराग्रह, बल, प्रचण्डता । (जयो० २/१९) जिद करना, अडिग होना- प्रसरन् बालहठेन भूतले (सुद० ३ / २५)
हठयोगः (पुं०) योग की एक विशेष पद्धति ।
विद्या ( स्त्री०) बलपूर्वक मनन करने का विज्ञान | हठवृत्तिः (स्त्री०) दुराग्रह की प्रवृत्ति । (जयो० १८/४५ ) 'एकान्तवादो हठवृत्तिस्तद्विनिवृत्तिया' (जयो०वृ० १८/४५) हडि (स्त्री०) काठ की बेड़ी।
हडिका ( स्त्री०) निम्न व्यक्ति, नीच व्यक्ति । हण्डा (अव्य० ) [हन् + डा] ० सम्बोधनात्मक अव्यय, ० निम्न श्रेणी की स्त्री को बुलाने का सम्बोधन । efusar (स्त्री० ) [ हण्डा+कन्+टाप्] हांडी, मिट्टी का बर्तन । हण्डे (अव्य०) सम्बोधनात्मक अव्यय ।
हत (भू०क०कृ० ) [हन्+क्त] ०मारा गया, ०वध किया गया, ० प्रहार किया गया। (वीरो० १६ / ३० ) ०आहत करना,
० मारना (सुद० १२७) ०क्षतिग्रस्त, ०घायल |
० वञ्चित, हीन, रहित। (समु० ७ / ९ )
हतक (वि० ) [हत् + कन्] दुःखी, कष्ट गत। • दुष्ट, निम्न, नीच ।
हतत्व (वि०) हताश (सुद० ९८ )
हतभागिन (वि०) अभागा, भाग्यहीन (सुद० ७३ ) हतिता (स्त्री०) लड़ाई (बीरो० २२ / २८ )
हति (स्त्री० ) [हन् + क्तिन्] ० विनाश, ०क्षति हानि। ० प्रहार
०घात ।
० प्रवञ्चना, धोखा। (जयो० २/५७) (मुनि० १८ ) त्रुटि, दोष ।
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० नष्ट। (सुद० ७२)
हतिविरूप (वि०) बुरा हाल । (सुद० ९४) (दयो० १०६ ) हलुः (नपुं०) शस्त्र, रोग।
हत्या (स्त्री०) वध, मारना, ०घात करना ।
० संहार ।
हद् (अक० ) मलत्याग करना ।
हदनम् (नपुं०) [इद् + ल्युट् ] मलत्याग, मलोत्सर्ग।
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हयप्रियः
हन् ( अक० ) ० मारना, वध करना, ०नाश करना। हनन्ति हन्त मृगषाप्रसङ्गिन (जयो० २ / १३४) खड्गेनायसनिर्मितेन न हतो वज्रेण वै हन्यते (वीरो० १६ / ३० )
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० आहत करना, मारना (सुद० १२७)
० आघात करना, पीटना, प्रहार करना ।
० कष्ट देना, संताप देना, क्षति पहुंचाना। अहन्तुः (सुद० ८६)
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हन् (वि०) वध करने वाला ०मारने वाला, पीटने वाला, ० प्रहार करने वाला ।
हन्: (पुं० ) [हन्+अच्] वध, हत्या, संहार, प्रहार, घात हननम् (नपुं०) [हन्+ ल्युट् ] वध करना, मारना, प्रहार करना, घात, विनाश।
हनुः (पुं०) शस्त्र ० रोग । मृत्यु | • एक औषधि विशेष ।
हनुग्रहः (पुं०) बन्द जबड़ा। हनुमत् (पुं०) अंजनापुत्र, पवनपुत्र । ० मारुति ।
हन्त (अव्य० ) [हन्+त] हर्ष, प्रसन्नता ।
० करुणा, दया, खेद, दु:ख, आदि, (समु० ७५) प्रकट करने में 'हन्त' अव्यय का प्रयोग होता है। खेद है। (सुद० १०२) हन्तेति खेदे (जयो० २ / १३४)
• अफसोस (सुद० ९८ ), शोक।
• शोक, ० हन्तेति खेदपूर्वक मुच्यते। (जयो० २१ / ३२) हन्तृ (वि० ) [हन् + तृच्] ० प्रहारकर्ता, वधकर्ता । (सुद० ८७) • चोर लुटेरा ।
हम् (अव्य०) [हा+डम्] क्रोध भाव से शिष्टाचार से उद्गार | हम्बा (वि०) गाय का रंभाना ।
हय ( अक० ) पूजा करना, अर्चना करना।
० शब्द करना।
० धक जाना।
हय (पुं०) [ह्य+अच्] अश्व, घोड़ा, घोटक (जयो० १/१९) वाजिन (जयो०वृ० १३/५)
हयकोविदः (पुं०) घोड़ों के प्रबन्ध, अश्व विज्ञान |
हयङ्कष: (पुं०) चालक रथवान् ।
हयज्ञ: (पुं०) अश्व विक्रेता । ० घुड़सवार, अश्वारोही। हयद्विषत् (पुं०) भैंसा | हयप्रियः (पुं०) जी।
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