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हयप्रिया
१२३६
हरितवर्णः
हयप्रिया (स्त्री०) खजूर का वृक्ष। हयमार:/हयमारकः (पुं०) कनेर, करवीर। हयमारणः (पुं०) पावन कनेर। हयमेधः (पुं०) अश्वमेध यज्ञ। हयराड (पुं०) अश्वराज। (जयो० २/८७) हयवरः (पुं०) श्रेष्ठ अश्व, उत्तम घोड़ा। (जयो० ५/१७) हयवाहनः (पुं०) कुबेर। हयशफाइति (स्त्री०) घोड़ों के खुरों की आहट। (जयो०
७/१०९) हयशाला (स्त्री०) अश्वशाला। हयशास्त्रम् (नपुं०) अश्व शिक्षा शास्त्र। हयसंग्रहणम् (नपुं०) लगाम लगाना, घोड़ों को रोकना। हयाननम् (नपुं०) अश्वमुख।
० व्यन्तरदेव। हयानामाननानीव आनमानि येषां ते सेवा
वर्गस्तथा व्यन्तरदेवसमूहश्च। (जयो० ५/१२) हयान्वयधर्ता (वि०) घोड़ा को रखने वाला। (समु०२/२२) हयायमाना (वि०) विपुल काम वासनावती। (जयो० २३/२२) हयी (स्त्री०) घोड़ी। हर (वि०) [ह+अच्] हरण करने वाला, (सुद०७३) अपहरण
करने वाला, खेदहर, शोकहर।
० अभ्यर्थी, दावेदार, अधिकारी। हरः (पुं०) महादेव, शिव, शंकर। (जयो० १/७३) यदाज्ञयार्धा
ङ्गितया समेति प्रियां हरो वैरपरोऽप्यथेति। (जयो० १/७३) ० कामारि, शंकर। (जयो०वृ० १६/१०) ० अग्नि । ० गर्दभ।
. भाजक, भाग देने पर भिन्न की संख्या। (तिलोय) हरगत (वि०) अपहरण शील। हरगौरी (स्त्री०) शिव की प्रिया गौरी। हरचन्दः (पुं०) शिव का चंद्र।, हरचूडामणिः (स्त्री०) चंद्रमा। हरणम् (नपुं०) ग्रहण, अभिग्रहण। हरतेजस् (नपुं०) पारा। हरसुनु (पुं०) स्कंद। हरारिः (पुं०) काम। (जयो० १७/१५) हरि (वि०) [ह+कन्] कपिल, खाकी रंग वाला, हरा पीला। हरिः (पुं०) ० विष्णु। (जयो०वृ० १/१३५) ब्रह्मा।
(जयो०वृ० १/३५)
• कृष्ण। (मुनि० २४) ० हरिश्चन्द्र मुनि। (समु० ५/२५) (जयोवृ० ४/६६) ० सिंह। (जयो० ७/११२) ० इन्द्र। ० यम। (जयो० २३/४९) ० सूर्य, ० चन्द्र, ० अग्नि, ० अश्व।
० सर्प, ० मयूर, ० मेंढक, तोता। हरिकः (पुं०) जुआरी, चोर, पीला घोड़ा। हरिकान्त (वि०) इन्द्र के लिए प्रिय। हरिकान्धः (पुं०) चन्दन, एक विशेष सुगन्धित चन्दन। हरिचन्दनः (पुं०) पीला चंदन। (जयो० २४/१६) हरिचन्दनद्रवः (पुं०) हरिचंदन का द्रव। (जयो० २४/७४) हरिचन्दनाञ्चित (वि०) हरिचन्दन नामक वृक्षों से युक्त।
(जयो० २४/६) हरिजनः (पुं०) हरिजन, मार्गादिमार्जनकरो जनः। (जयो०४/६७) हरिण (वि०) [ह+इनन्] फीका, पीला सा। हरिणः (पुं०) मृग। दरिणो हरिणा बलादमी तव धावन्ति मुधा
महीपते। (जयो० १३/४७) हरिणकलङ्कः (पुं०) चन्द्र, शशि। हरिणनयन (वि०) मृगनयनी, मृगाक्षी। (जयो० १८/९३) हरिणलोचन (वि०) हरिणाक्षी। हरिणहृदय (वि०) भीरु, भयभीत हृदय वाला। हरिणाङ्गना (वि०) मृगी, हरिणी। हरिणाङ्गनाखुरः (पुं०) मृगी खुर। (जयो० २५/१८) हरिणाक्षी (वि०) मृगाशी। हरिणी (स्त्री०) मृगी। (जयो० २२/६७) (जयो० १४/५६)
० एक अप्सरा विशेष। (जयो० २२/६७) हरित् (वि०) [ह+इति] हरा, हरितमायुक्त। (जयो० २१/७४)
० तृण सहित। (जयो० २१/७४)
० पीला सा, हरियाली युक्त। हरित् (पुं०) ० अश्व, घोड़ा। (जयो०३० २१/२४)
० इन्द्र। (समु० ६/४१) ० दिशा-हरतः ककुभिस्त्रियाम्। (जयो० ५/७) (जयो०वृ० २६/४६) इति विश्वलोचनः (जयो० २६/४६) ० सूर्य, ० विष्णु, ० सिंह।
० घास। (जयो० २१/७४) तृण। हरित (वि०) हरे रंग का। हरितः (पुं०) ० सिंह। हरितवर्णः (पुं०) हरवर्ण। (जयोवृ० १९/१८)
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