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सेवक
भुवि। (वीरो० १७०४१)
• सेवन करना। (सुद० १२२) (जयो० २/१८, १/९५) ० आराधना करना । (जयो० ३/५, ३/१०८)
० संरक्षित करना (जयो० ३/५)
० पोषण करना (वीरो० ५/३०)
• अनुगमन करना, पीछा करना। अनुसरण करना । ० सहारा लेना, रहना।
• अभ्यास करना, अनुष्ठान करना। सेवक (वि०) [सेव्ण्वुल्] सम्मान करने वाला, सेवा करने
वाला।
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० आराधक । ( भक्ति० )
सेवकः (पुं०) दास, भक्त, पूजक (दयो० १०८) (जयो०वृ० १/१०८)
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अनुजीविजन (जयो०१० १६/४३) सेवकस्य चेष्टा सुखहेतुः (सुद० ९२ )
० दर्जी, ० भृत्य (जयो० ४/१८) परिचारक (जयो०५/२०) सेवकता (वि०) सेवकपना। (वीरो० १५/४०) सेवकोत्कर्ष: (पुं०) सम्मान का उत्कर्ष । (जयो० ) सेवधि ( अव्य० ) सेवा भाव से ।
सेवनम् (नपुं०) [सेव् + ल्युट्] उपयोग करना, उपभोग करना।
० पूजा करना, सम्मान करना ।
० अनुगमन करना, अभ्यास करना।
सेवनी (स्त्री० ) [ सेवन + ङीप् ] सुई, सीवन ।
• संधिरेखा ।
सेवमान (सेव्+ शानच् ) सेवा करने वाला (वीरो० १५ / २३) सेवा ( स्त्री० ) [ सेव्+अ+टाप्] परिचर्या (वीरो० ५/५)
• सम्मान। (सुद० ७३ )
० संलग्नता, तत्परता।
० पूजा, भक्ति ।
० उपयोग अभ्यास।
• आश्रय लेना ।
सेवाकारक (वि०) परिचारक (जयो०वृ० २० /१९) सेवाकार (वि०) दासता युक्त
सेवाकाकु (स्त्री०) सेवा परिवर्तन ।
सेवापरायण: (पुं०) सेवा में तत्पर । (वीरो० १४/१८) सेवार्तसंहननम् (नपुं०) एक संहनन का नाम । सेवावृत (पुं०) कि कर्त्तव्यविमूढ (सुद०) सेवि (वि०) नपुं०) बेर सेव
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सैमन्तिकम्
सेविका ( स्त्री०) परिणेत्री, परिचारिका । (जयो०वृ० १२ / १८ ) सेवित (भू०क० कृ० ) [सेव्+क्त] सेवा किया गया। ० अनुगत,
अभ्यस्त |
० उपभुक्त।
सेवितृ (पुं०) [सेव् + तृच्] सेवक, दास।
सेविन् (वि० ) [ सेव + णिनि] सेवा करने वाला, सम्मान करने वाला, पूजा करने वाला।
सेविनी (वि०) सेवाकारिणी (जयो० १/४)
सेव्य ( वि० ) [ सेव् + ण्यत् ] सेवनीय सेवा करने योग्य। ( वीरो ०५ / २१ ) (जयो० ५ / ४७ )
• सम्मान योग्य, पूजनीय, समादरणीय।
सै ( सक०) क्षीण होना, नष्ट होना।
सैकत (वि०) [सिकताः सन्त्यत्र अण् ] रेतीला, कंकरीला, ० बालुकामयी, ० धूलीप्राय सिकताया इदं सैकतम् (जयो० ११/५९)
सैकतलक्षणा (वि०) उत्तम अभिलाषा युक्त। एकं तलं तस्य क्षण उत्सवो यस्या उत्तमाभिलाषवती । (जयो० ११ / ५९ ) सैकतिक (वि०) [सैकत उन्] रेतीले तट वाला, कंकरीट युक्त सैकतिकः (पुं०) साधु ।
सैद्धान्तिक (वि० ) [ सिद्धान्त+ठक् ] सिद्धान्त सम्बन्धी । यथार्थ उद्घाटन करने वाला मत।
सैनापत्यम् (नपुं० ) [ सेनापति + ष्यञ् ] सेना की अध्यक्षता । सैनिक ( पुं०) सिपाही, फौजी, सुरक्षाकर्मी ।
० संतरी ।
सैन्धव (वि०) [सिन्धुनदीसमीपे देशे भवः अण् ] सिन्धु प्रान्त में उत्पन्न होने वाला।
०
सिन्धु नदी सम्बंधी।
सैन्धवः (पुं०) सैन्धव नमक, सेंधा नमक।
० प्रशंसनीय घोड़ा। (जयो० २१ / २२ )
सैन्धवक (वि०) [सैन्धव बुज्] सैन्धव से सम्बंध रखने
वाला।
सैन्यः (पुं० ) [ सेनायां समवैति वुञ् ] सैनिक, सिपाही, फौजी, संतरी ।
सैन्यम् (नपुं०) सेना की टुकड़ी, सैन्य समूह, सैनिक जत्था सैन्यभयः (पुं०) सेना का भय। (जयो० १३ / ५१)
सैन्यसागरः (पुं०) सेना रूपी समुद्र, सैन्य समूह। (जयो०१३/३२)
०
चतुरंगिणी सेना ।
सैमन्तिकम् (नपुं० ) [ सीमन्त ठक्] सिन्दूर
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