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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सृत्वर १२०२ सृत्वर (वि०) सरणशील, जाने वाला। ० अभिषेक। सृत्वरी (स्त्री०) [सृ+ क्वरप्] नदी, सरिता, दरिया। ० माता। ० स्राव, छिड़काव। ० टपकना, ० रिसना। सृदरः (पुं०) सर्प, सांप। सेचनी (वि०) डोलची। सृदारकः (पुं०) [सृ+काकु+दुकच्] पवन, हवा, वायु। सेटुः (पुं०) [सिट्+उन्] तरबूज। ० अग्नि, ० हरिण, ० इन्द्र का वज्र। सेतिका (वि०) अयोध्या। सृदाकु (स्त्री०) नदी, सरिता। सेतुः (पुं०) [सि+तुन्] पुल, बांध (समु० १/२) तटबंध सृप (अक०) रेंगना, सरकना, खिसकना, इधर-उधर घूमना। (भक्ति०१) सृपाटः (पुं०) एक माप विशेष। ० किनारा (सम्य० १२५) मेंड। सपाटिका (स्त्री०) [सृपाट+ङीष् कन्+टाप्] पक्षी का चोंच। ० दर्रा, संकीर्ण मार्ग। ० एक संहनन। ० दृढ़, सीमा, परिसीमा। सृप्रः (पुं०) [सृप्+कन्] चन्द्र, शशि। सेतुकः (पुं०) [सेतु+क] पुल। ० समुद्रतट। सभ् (सक०) चोट पहुंचाना, घायल करना। ० दर्रा। समर (वि०) [सृ+क्मरच्] गमन करने वाला, जाने वाला। | सेतुबन्धः (पुं०) पुल का निर्माण। सृष्ट (भूक०कृ०) [सृज्+क्त] रचित, प्रतिपादित, ० परित्यक्त, ० एक प्राकृत का महाकाव्य। छोड़ा गया। सेतुभेदिन् (वि०) बन्धन तोड़ने वाला। बाधा समाप्त करने ० निर्धारित, ० संयुक्त, संबद्ध। वाला। ० अलंकृत, ० अधिक, बहुत, प्रचुर, पर्याप्त। सेत्रम् (नपुं०) बंधन, हथकड़ी, बेड़ी। सृष्टा (वि०) विधाता। (वीरो० १८/१५) सेन (वि०) प्रभु सत्ता युक्त। ० नेतृत्व युक्त। सृष्टिः (स्त्री०) [ऋज्+क्तिन्] रचना, विनिर्माण। (जयो० सेना (स्त्री०) [सि+न+टाप] ध्वजिनी। (जयो० १३/३७) जिसमें ११/२९) सर्जक। (जयो० ७/३३) __अनेक घोड़े, हाथी, पदाति एवं हथियार हो। लोकोक्तरकपि सृष्टैः पितामहो ब्रह्मा सर्जकः सेना-मृगसेन की धीवर की धीवरी। (दयो० १०) ० प्रकृति रचना। ० भेंट। सेनाचरः (पुं०) सैनिक, अनुचर वर्ग। (वीरो० १९/२) एवं तु षड्वव्यमपीयमिष्टिर्यतः सेनानायकः (पुं०) सेनापति, समनीकिनीश्वर। (जयो० २१/१) समुत्था स्व्यमेव सृष्टिः। (वीरो० १९/३८) सेना निवेशः (पुं०) सेना शिविर, पड़ाव। दृष्टिः सृष्टिरपूर्वैकृष्टिर्विश्वस्य सेना की चौकी। ० सुरक्षा कर्मियों का पड़ाव। सृष्टितथेयं चिदचिद्विघात:। (समु०८/५) सेनापतिः (पुं०) [सेनायाः प्रभु] सेनानायक, चमूपति। (जयो०वृ० सृष्टिकः (पुं०) पाक्षिक श्रावक। (जयो० २/१३) २१/२) (वीरो० १५/५०) सृष्टिसम्पादकः (पुं०) प्रजापति। (जयो०वृ० ११/१२) सेनापरिच्छद (वि०) सेना से घिरा हुआ। सेक् (सक०) जाना, पहुंचना। सेनापृष्ठम् (नपुं०) सेना का पिछला भाग। सेकः (पुं०) [सिच्+घञ्] छिड़कना, पानी देना, सींचना। सेनाभङ्गः (पुं०) सेना का विखराव। सैनिकों का तितर-बितर ० तपर्ण। होना। सेकिमम् (नपुं०) [सेक+ठिम्] मूली। सेनामुखम् (नपुं०) सेना की टुकड़ी। सेक्त (वि०) [सिच्+तृच्] सींचने वाला। सेनायोगः (पुं०) सेना की सज्जा। ० चतुरंगिणी सेना समूह। सेक्त (वि०) पति। सेनारक्षः (पुं०) सन्तरी, पहरेदार। सेक्त्रम् (नपुं०) [सिच्+ष्ट्रन्] ढोलची। सेनास्तम्भनम् (नपुं०) सेना कीलन। (जयो० १९/७२) सेचक (वि०) सींचने वाला। सेमन्ती (स्त्री०) [सिम्+झि ङीष्] सेवती, सफेद गुलाब। सेचकः (पुं०) मेघ, बादल। सेरः (पुं०) माप, वस्तु क्रय-विक्रय का बांट। सेचनम् (नपुं०) [सिच्+ल्युट] सींचना, पानी डालना। सेव (अक०) सेवा करना, सम्मान करना। सेवामो यां वयं For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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