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सुवर्णवर्णः
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सुशेषावती
३/५९) उत्तम वर्ण (सुद० १/३५) शोभन रूपा।
(जयो० ४/१०) सुवर्णवर्णः (पुं०) अगुरुवृक्षा (जयो० २४/२६) सुवर्णस्तु
सुवर्णालौ कृष्णागुरुमयान्तरे 'इति वि। (जयो० २४/२६)
सुवर्णस्य हेम्नो वर्ण इव वर्णो यस्य सोऽपि (जयो० २४/२६) सुवर्णसूत्रम् (नपुं०) काञ्चीदाम। (जयो० १७/१२४) करधनी
(जयो० ११/६) सुवर्णानुगत (वि०) हेमघटितानुसारिणी। (जयो० ११/१८) सुवर्णोत्थपदम् (नपुं०) सुंदर वर्णों का स्थान।
० ललिताक्षरसम्पन्न शब्द। (जयो० ३/२८) सुवृत्तः (पुं०) अंगीकारक, शोभन वर्तुलाकार, सदाचारवान्।
(जयो० १०/८०) सुवृतत्त्व (वि०) शोभनं वृत्तमाचरणं यस्य तत्त्वात् तथा स्तम्भोऽपि।
(जयो० २२/८२) ० वर्तुलाकार। सुवृत्तभाज (वि०) सदाचारी। (जयो० ५/९९) सुवृत्तभावः (पुं०) सदाचारचेष्टा। (जयो० १८/५३) साध्वाचार
सम्पत्ति। (जयो० ५/८१) सुवर्तुलाकार। (वीरो० २/४) सुवर्ष (वि०) उत्तमवर्ष। (जयो० २२/५२) सुवर्षणः (पुं०) मेघ, बादल। (जयो० १७/२१) सुवर्षणशील (पुं०) अच्छी वृष्टि युक्त मेघ। (जयो० १७/२१) सुवर्षा (स्त्री०) सुवृष्टि। (जयो० १७/१०२) सुविधाकर (वि०) सुख से परिपूर्ण। (जयो० ११/७१) सुविधातृ (वि०) विधानकर्ता। (जयो०वृ० १२/११३) सुवासित (वि०) अनुभावित। (जयो० १३/९४) सुविकासिन् (वि०) विकसित, पूर्ण खिला हुआ। (सुद०३/३) सुविश्रमः (पुं०) अधिक विराम। (जयो० २४/४) सुविष्टर (वि०) मनोभिलषितासन। (जयो० २७/४३) सुविस्तृत (वि०) परिणाहपूर्ण। (जयो० १३/३४) अधिक विस्तार
वाला। सुविचारः (पुं०) उत्तम विचार। (जयो० २/१०३) सुविचारचेष्टित (वि०) अच्छे विचारों की चेष्टा युक्त।
(जयो० ७७/१३२) सुविज्ञ (वि०) जानकार। (सुद० १२२) सुविद् (वि०) बुद्धिमान्, प्रज्ञावंत। सुविपाकिन् (वि०) शुभ परिणामिन्। (जयो० ४/३९) सुविद्या (वि०) शोभना विद्या, उत्तम विद्या। (जयो० १/१३) सुविध (वि०) पुण्यात्मन्। (जयो० २४/१३२) सुविधम् (अव्य०) आसानी से, सहज में, सम्यक् प्रकार से।
(जयो० १/९८)
सुविधा (स्त्री०) सुख। (सम्य० १२३) सुविधाप्रबुद्धिः (स्त्री०) सन्तानोत्पत्ति। (जयो० २/१२४) सुविधिः (पुं०) तीर्थंकर सुविधिनाथ नवें तीर्थंकर का नाम,
जिन्हें तीर्थंकर पुष्पदन्त भी कहते हैं। __शोभनो विधिः सर्वत्र कौशलमस्येति सुविधि। सुविधिः (स्त्री०) उत्तम पद्धति। सुविनीत (वि०) विनयी, विनम्रशील। सुविस्तारयन् (वि०) सुविस्तृत करना। (मुनि० ७) सुविहितं (वि०) अच्छी तरह से रखा गया। सुवीर्य (वि०) शक्तिशाली, बलिष्ठ, शूरवीर, पराक्रमी। सुवृत्त (वि०) गुणी, सद्गुणी, सदाचरणशील, उत्तम आचरण।
(सुद० २/६)
० अच्छा गोल, पूर्ण गोलाकार। (सुद० २/६) सुव्रता (स्त्री०)पुष्कल देश के पुण्डरीक नगर के अधिपति
सुमित्र की रानी। (वीरो० ११/३२) सुवेल (वि०) ० शान्त, निश्चल।
० विनम्र, निस्तब्ध। सुवेशिनी (स्त्री०) रूपवती। (जयो० १३/१०) सुवेश (वि०) शोभनवेशवती। (जयो० ५/३८) प्रसारशील।
(जयो० ५/८) शोभनाकार। (जयो० ३/२४) सुवेशः (पुं०) मुनिवेश, निर्ग्रन्थ। सुवेशा (स्त्री०) शोभनवेशमती। सुशंस (वि०) प्रख्यात, प्रसिद्ध।
० यशस्वी, प्रशंसनीय। सुशक (वि.) आसान, सरल, सहज। (दयो० १२२) सुशाकम् (नपुं०) अदरक।
० उत्तमशाक। (जयो० २/१२८) सुशाखिन् (वि०) उत्तम शाखाओं वाला। (सुद० ८५) सुशासित (वि०) नियन्त्रित, पूर्ण शासन युक्त। सुशीलत्व (वि०) सदाचरण युक्त। सुशीला (स्त्री०) उत्तम आचरण वाली स्त्री। (सुद० १/२६) सुशिक्षित (वि०) प्रशिक्षित, सधा हुआ। सुशिखः (पुं०) अग्नि।
• मयूर शिखा। सुशील (वि०) मिलनसार, शीलवान्, अच्छे आचरण वाला। सुशुचि (स्त्री०) अति पावन। (जयो० २।८७) सुशुभङ्गणम् (नपुं०) शुभाङ्गण। (जयो० १२/४७) सशेषावती (स्त्री०) शुभाशीर्धारिणी। (जयो० २८/६९)
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