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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुश्रावकत्व ११९७ सुस्थ सुश्रावकत्व (वि०) उत्तम श्रावपकना। (जयो० १८/४६) सुश्रुवः (पुं०) श्रवणमनोहर। (जयो० ९/८७) सुश्रान्त (वि०) प्रशस्त। (जयो० ८/१६) सुश्रुत (वि०) अच्छी तरह से सुना गया। ० उत्तम शास्त्र, श्रेष्ठ श्रुत/आगम। सुश्रुतः (पुं०) आयुर्वेद पद्धति। सुश्रुतसंहिता (स्त्री०) आयुर्वेद ग्रन्थ। सुश्रुतादरः (पुं०) सुश्रुतसंहिता का आदर। (जयो० ३/१६) सुश्लिष्ट (वि०) संयुक्त, क्रमबद्ध। सुश्लेषः (पुं०) मिलाप, मिलकर, आलिंगन। सुषभ (वि०) [सुष्ठु समं सर्वं यस्मात्] अत्यन्त प्रिय, इष्ट, मनोज्ञ। सुषम-दुषमा (स्त्री०) काल का एक भेद, जिसका प्रमाण कोडाकोडी माना गया। इस समय में दिव्य मनुष्य और अप्सरा सदृश स्त्रियां होती हैं। सुषम-सुषमा (स्त्री०) उपद्रव रहित काल, इसका प्रमाण चार कोडीकोडी सागर माना गया। सुषमा (स्त्री०) परम सौंदर्य, अत्यन्त रमणीय, शोभा। (वीरो० ३/२०) परम आभा, उत्कृष्ट कान्ति, तीव्र प्रभा। ० एक काल विशेष, इस काल का प्रमाण तीन कोडाकोडी सागरोपम माना गया। सुसमम्मि तिण्णि जलही उवमाणं होंति कोडकोडीओ (ति० प० ४/३१८) ० मौर्य चन्द्रगुप्तकी रानी-मौर्यस्य चन्द्रगुप्तस्य सुषमाऽऽसी दथाऽऽर्हती। (वीरो० १५/३३) सुषमाभिमानम् (नपुं०) शोभाविषयक गर्व। (जयो० ११/१६) सुषवी (स्त्री०) [सु-सु+अच्+ङीष्] काला जीरा। सुषादः (पुं०) शिव का नाम। सुषिम (वि०) शीतल, ठण्डा। सुषिमः (पुं०) चंद्रकान्तमणि। सुषिर (वि०) [शुष्+किरच्] छिद्र युक्त, सरन्ध्र, खोखला। सुषिरम् (नपुं०) एक वाद्य विशेष, जो वायुवेग से बजता है। (जयो० १०/१८) सुषीमः (वि०) सुशोभन। (जयो० २६/७४) सुषुप्तिः (स्त्री०) [सु+स्वप्+क्तिन्] प्रगाढ़ निन्द्रा, अधिक निन्द्रा। सुषुम्णः (पुं०) सूर्य किरण का नाम। सुषुम्णा (स्त्री०) शरीर की एक नाड़ी का नाम। सुष्ठु (अव्य०) [सु+स्था+कु] सुंदरता के साथ, अच्छाई युक्त। ० अत्यन्त, प्रगाढ़, दृढ़। ० सचमुच, यथार्थ, ठीक। सुष्ठुकार्यकृत् (वि०) उत्तम कार्य करने वाला। (जयो० २/६१) शोभनकर्मकर। सुष्ठप्रकृतिः (स्त्री०) उत्तम प्रकृति, पूर्ण सुरक्षित प्रकृति। (मुनि० २४) | सुहृदः (पुं०) तालाब, सरोवर। (जयो० १/४३) ० सज्जन। (जयो० १/४३) • मित्र। (सुद० ३/५७) सुहृदि (वि०) सहदय। (सुद० ७७) ससंहित (वि०) एकत्रित। (समु०७/१३) सुहंसः (पुं०) अद्वितीय हंस। (सुद० २/१) सुहावनी: (वि०) प्रिय लगने वाली। (दयो० ११३) सुहासमय (वि०) ईषत्स्मितान्वित। (जयो० ३/१४) सुहित (वि०) हितेच्छुक। (जयो० ६/१०) सुस्नेहदशा (स्त्री०) प्रशस्त प्रेमावस्था। ० उत्तम स्नेही। ० तेल युक्त। चासौ दशा वर्तिका। (जयो० ६/१३) सुसमाधि (स्त्री०) उत्तम समाधि। (सम्य० १३९) सुसमादरः (पुं०) उचित सम्मान। (वीरो० २२/१७) सुसृणिः (स्त्री०) प्रशस्तांकुश। (जयो० १३/३६) सुहृदः (पुं०) मित्र, सख। (जयो० ४/४८) सुहेतु (पुं०)एक राजा का नाम। (जयो० ७/८८) सुस् (अक०) उत्पन्न होना। (सुद० १/४६) सुसंस्कृत (वि०) स्नेहजन्य, तेल से चुपड़ी हुई। (जयो०१३/५) सुसज्ज (वि०) हृष्ट-पुष्ट, तैयार। (जयो० १७/११३) सुसज्जनौका (स्त्री०) प्रशस्त नांव। (जयो०२२/७८) सुसज्जि (वि०) पूर्णरूप से तैयार हुई। (दयो० ६२) सुसन्तानं (नपुं०) उत्तम सन्तति। (समु०६/४) सुसमीक्षा (स्त्री०) सम्यक् समालोचन चेष्टा। (जयो०५/४०) सुसमीरः (पुं०) शुद्धवायु। (जयो० २/७६) सुसम्पदा (स्त्री०) सुखसम्पदा। (जयो० १२/१४०) सुसाफल्य (वि०) पूर्ण सफलता। (जयो० ) सुसारः (पुं०) उचित सार, रहस्यमय। (सम्य० ८८) सुस्वादु (वि०) स्वाद युक्त। (वीरो० २१/४) सुस्तनम् (नपुं०) पृथुल स्तन। (जयो० १२/१२४) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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