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सुरीतिः
११९५
सुवर्णमूर्ति
सुरीतिः (स्त्री०) सम्यक् पद्धति, उचित परम्परा। (वीरो०२/२२) (जयोवृ०१/६६) पुत्री। ___ आगममोक्तविधि। (जयो० २४/८२)
० सुंदर स्त्री। सुरीतिसूक्तम् (नपुं०) उत्तमरीति के सूक्त/वचन। (सुद० १/२६) सुलोचनिका (स्त्री०) सुलोचना। (जयो० ४/१५) सुरीतिकी (वि०) दौर्गत्यकारिणी-सुरीते: शोभनस्य सुलोचनी (स्त्री०) सुदृशा स्त्री। (जयो०१० ५/८९) पित्तलस्यकर्तीतिविरोधे। (जयो० ११/८८)
सुलोहकम् ( नपुं०) पीतल। सुरीसुसारः (पुं०) देवाङ्गनाओं का उचित सार सुरीषु देवाङ्गनासु सुलोहित (वि०) गहरा लाल। ___ शोभन: सारस्तत्त्वार्थो विद्यते। (वीरो० ५/५)
सुवंशः (पुं०) शिविका दण्ड। (जयो० ६/५६) सुरुचिर (वि०) रुचिपूर्ण। (जयो० १/९४)
सुवधू (स्त्री०) उत्तम स्त्री। (जयो० १३/७) सुरूप (वि०) सुंदर रूप। (समु० ४/२४)
सुवक्त्रम् (नपुं०) सुंदर मुख। सुरेन्द्रः (पुं०) देवेन्द्र, अमरेन्द्र। (जयो०वृ० १२/७३) सुवचनम् (नपुं०) मधुर वचन, मृदु वचन। सुरेन्द्रकोणीपः (पुं०) पूर्वदिशा। (वीरो० ११/२५)
सुवर्चिकः (पुं०) सज्जी, क्षार, खार। सुरेशः (पुं०) देवेन्द्र, इन्द्र। (जयो० ७२।८)
सुवल्लभा (स्त्री०) प्यारी, प्रिया। (समु० ४/२५) सरोक (वि०) सम्यग्दीप्तिशाली-रोकस्त रोचिषीति विश्वलोचन। सुवर्ण (वि०) उत्तम अक्षर। (सम्य० ६१) (जयो० १८४)
० आकर्षक रंग युक्त। (जयो० ३/७२) सुरोचन (वि०) परम सुंदर। (जयो० ३/९०)
सुवर्णः (पुं०) सोना। (सम्य० ८९) सुरोचना (स्त्री०) राजकन्या, काशीनरेश, अकम्पन की पुत्री। सुवस्तु (वि०) ठीक-ठीक पदार्थ। (वीरो० २०/१५, २/२९)
(जयो० ३/९०) सूत्तमतया रोचना रुचिकरी। (जयो०७० सुवह (वि०) सहनशील, धैर्यवान्। ३/६३)
सुवाणी (स्त्री०) जिनवाणी। (सुद० १२२) सुरोचनाऽन्याय सुरोचनेति
सुवासं (नपुं०) उत्तम वस्त्र। (सुद० २/१२) समिच्छतः का पुनरम्भ्युदेति। (जयो० ३/९०)
सुवासिनी (स्त्री०) श्रेष्ठता से युक्त आवास वाली। सुलक्षण (वि०) भाग्यशाली, संदर लक्षणों वाली। (सुद० सुवाह (वि०) अच्छी तरह प्रवाहित। (वीरो० २१/१४) ३/२४)
सुविक्रान्त (वि०) साहसी, बलिष्ठ, बहादुर, शक्तिशाली। सुलक्षणसमन्वित (वि०) उत्तम लक्षणों से युक्त। (दयो०१/१९) सुरायोगः (पुं०) मदिरापान, मद्यपान। (जयो० १६/२५) सुलक्षणा (स्त्री०) एक राजकन्या। सौभाग्यवती। (जयो० सुरीतिकर्ता (वि०) सम्यक् रीति का प्रचारक। (जयो०१०१/१२) ९/७९)
सुवयःस्वरूपा (स्त्री०) लक्ष्मी समान श्री। (जयो० १/७४) सुलक्षणी (स्त्री०) शोभन लक्षण युक्त। (जयो० २२/४०) उत्तम अवस्था। (जयो० २/६९) सुलक्षणा (स्त्री०) आदित्यवेग नगर के राजा धरणी तिलक | सुवंशः (पुं०) उत्तम बांस। (सुद० ४/४) उत्तम कुल। ___की रानी। (समु० ५/१८)
सुवाच (वि०) उत्तम वाणी। (भक्ति० १२) सुलताङ्गी (स्त्री०) बल्लीतुल्याङ्गी। (जयो० १०/१४) सुवासिनी (स्त्री०) सौभाग्यवती। (जयो० १२/१०८) सुललित (वि०) अत्यंत प्रिय, बहुत सुंदर। (जयो० ४/७) सुवासिनीमहिला (स्त्री०) सौभाग्यवती स्त्री। (जयो० १२/१०८) सुलसत् (वि०) सुशोभित। (सुद० २/५०)
सुवर्णः (पुं०) सोना। (समु० ८/७) कनक (जयो० ३/७२, सुलभीकृत् (वि०) सुगमता को प्राप्त हुई। (जयो० १२/९६) शोभन। (जयो० वृ० ३/७२) सुलेख (वि०) आपुष्पकर्म रेखा। (जयो० १/५१)
सुवर्णकलित (वि०) उत्तम कुल जात। (जयो० ५/४५) सुलभ (वि०) सुप्राप्य, सुकर, सहजता से उपलब्धा सुविधाजन्य। सुवर्णकारः (पुं०) कला। (जयो० १६/७४) (जयो० ३/१५)
सुवर्णताति (स्त्री०) अच्छे वर्णों की पंक्ति। (जयो० ) सुलास्यः (पुं०) उत्कृष्ट नृत्य, शोभनं लास्यं नृत्यम्। सुवर्णपरिस्थितिः (स्त्री०) अच्छे वर्गों की स्थिति। (दयो०६८) सुलोचन (वि०) सुंदर नेत्र वाली।
सुवर्णय (सक०) बनाना, सोना तैयार करना। (जयो० ६/७४) सलोचना (स्त्री०) काशीनरेश अकम्पन की पत्री। | सवर्णमर्ति (स्त्री०) सक्ति युक्त वचन की प्रतिमा। (जयो०
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