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सातिरेक
११७६
साधर्म्यम्
सातिरेक (वि०) अत्यधिक (जयो०वृ० १/७८) सात् (अव्य०) एक तद्धित प्रत्यय। सात्क्रियता (वि०) काव्यकर्तापना। (समु० १/१६) सातत्यम् (नपुं०) [सतत्+ष्यञ्] निरंतरता, स्थायित्व। सातन (वि०) नाशक। (जयो०७० २/२२) सातपः (पुं०) ग्रीष्मऋतु। (जयो० २२/२)
० समतल। (जयो० ५/९०) सातल (वि०) आनन्द युक्त। सातिः (स्त्री०) [मन्+क्तिन्] भेंट, उपहार, प्राभृत, दान। सातिशयः (पुं०) एक खाद का नाम। (सम्य० १०७) सातीनः (पुं०) मटर। सात्त्विक (वि०) प्राकृतिक, सत्त्वगुण से युक्त शुद्धसित।
सहज स्वाभाविक। (जयोवृ०१२/१२२)। (जयो०१०
८/१४४) सात्त्विकसङ्गतिः (स्त्री०) सात्त्विक विचार। (दयो० ११८) सात्यकि (पुं०) सात्यकि नामक रुद्र।
० कृष्ण का सारथि। (जयो० २३/८६) सात्यवतः (पुं०) सत्यवती से उत्पन्न पुत्र, व्यास मुनि। सात्रम् (नपुं०) सदादान। (जयो० २७/४४) सात्वत् (पुं०) [सातयति सुखयति सात्+क्विप्] उपासक। सात्वतः (पुं०) विष्णु। सात्वती (स्त्री०) शिशुपाल की माता। सादः (पुं०) [सद्+घञ्] बैठना, रहना, निवास करना।
० क्लान्ति, थकावट, क्षीणता। ० ध्वंस, क्षय, लोप।
० आत्मशुद्धता। (सम्य०१५) सादनम् (नपुं०) [सद्+णिच्+ल्युट्] क्लान्त करना, थकाना।
० थकावट, क्लान्ति।
० घर, स्थान। . सादर (वि.) आदर पूर्वक (जयो०३/११६) प्रसन्नतापूर्वक।
(जयो० १०/१२८) सादरदृष्टिः (स्त्री०) सुदृकपथ। (जयो० २/९५) सादिन् (वि०) [सद्+णिच्+णिनि] बैठा हुआ। सादिन् (पुं०) घुड़सवार, आरोहण कारिन्। सादिवर (वि०) उष्ट्ररोही। (जयो० १३/७३) हस्तिपक, महावत।
(जयो०१३/४) (जयो० २१/२१) सादृश्यम् (नपुं०) [सदृश+ष्यञ्] ० समानता, समरसता, एक
रूपता। ० प्रतिलिपि, प्रतिमूर्ति।
सार्द्धद्वयद्वीपः (पुं०) अढ़ाई द्वीप। (भक्ति० ३५) साद्यन्त (वि.) [सह+आद्यन्ताभ्याम्] सम्पूर्ण, समस्त, पूर्ण, पूरा। साध् (सक०) पूरा करना, समाप्त कराना।
० सम्पन्न करना। ० जीतना। उपासना करना (जयो० २/३९) साधपत्यवगोचरं (सुद०) ० निष्पन्न करना, घटित करना।
० धारण करना, प्राप्त करना। साधक (वि.) [साध्+ण्वुल] सम्पन्न करने वाला, पूरा करने
वाला। ० दक्ष, प्रभावशाली। ० कुशल, निपुण। ० मददगार, सहायक। ० कार्य परिणत करने वाला-साध्योऽप्यहं साधक एवमस्मिन। (भक्ति० ३१) • योगी-साधना करने वाला। योगि तदन्यभेदेन, द्वेधा भवति साधकः।
आत्मनो हि भवेदाद्यः परस्यापीक्षकः परः।। (हित० ३) साधकता (स्त्री०) अभिलाषाओं की पूर्ति करने वाला।
सर्वस्यार्थकुलस्य साधकतया सार्थीकृतात्मप्रथं। (जयो० २/११०) 'अन्यार्थसाधकतया विचरन् सुवंशे' (जयो०
१२/१४५) साधन (वि०) [सिध+णिच् ल्युट्] निष्पन्न करने वाला, उपार्जन
करने वाला। (जयो० १/११३) साधनम् (नपुं०) पूरा करना, पूर्ण करना।
० उपकरण, आधार, सहारा (जयो० २/२१) गेहमेकमिह भक्तिभाजनं पुत्र तत्र धनमेक साधनम्। ० भोगकारण। (जयो०वृ० २/२१)
• किसी पदार्थ की पूर्ण अवाप्ति। (सम्य० ८२) साधनता (वि०) उद्देश्य पूर्ति। साधनत्व (वि०) उद्देश्य पूर्ति। साधना (स्त्री०) [सिध्+णिच्+युच्+टाप्] 0 आराधना, उपासना,
पूजा, अर्चना।
० पूर्ति, निष्पन्नता। साधनासरणिः (स्त्री०) साधना पद्धति। (वीरो० १३/३१) साधन्तः (पुं०) [साध्+क्षच्-अन्तादेश:] भिक्षुक।। साधर्म्यम् (नपुं०) [सधर्म+ष्यञ्] समानधर्मता, गुणों की
समानता।
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