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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सातिरेक ११७६ साधर्म्यम् सातिरेक (वि०) अत्यधिक (जयो०वृ० १/७८) सात् (अव्य०) एक तद्धित प्रत्यय। सात्क्रियता (वि०) काव्यकर्तापना। (समु० १/१६) सातत्यम् (नपुं०) [सतत्+ष्यञ्] निरंतरता, स्थायित्व। सातन (वि०) नाशक। (जयो०७० २/२२) सातपः (पुं०) ग्रीष्मऋतु। (जयो० २२/२) ० समतल। (जयो० ५/९०) सातल (वि०) आनन्द युक्त। सातिः (स्त्री०) [मन्+क्तिन्] भेंट, उपहार, प्राभृत, दान। सातिशयः (पुं०) एक खाद का नाम। (सम्य० १०७) सातीनः (पुं०) मटर। सात्त्विक (वि०) प्राकृतिक, सत्त्वगुण से युक्त शुद्धसित। सहज स्वाभाविक। (जयोवृ०१२/१२२)। (जयो०१० ८/१४४) सात्त्विकसङ्गतिः (स्त्री०) सात्त्विक विचार। (दयो० ११८) सात्यकि (पुं०) सात्यकि नामक रुद्र। ० कृष्ण का सारथि। (जयो० २३/८६) सात्यवतः (पुं०) सत्यवती से उत्पन्न पुत्र, व्यास मुनि। सात्रम् (नपुं०) सदादान। (जयो० २७/४४) सात्वत् (पुं०) [सातयति सुखयति सात्+क्विप्] उपासक। सात्वतः (पुं०) विष्णु। सात्वती (स्त्री०) शिशुपाल की माता। सादः (पुं०) [सद्+घञ्] बैठना, रहना, निवास करना। ० क्लान्ति, थकावट, क्षीणता। ० ध्वंस, क्षय, लोप। ० आत्मशुद्धता। (सम्य०१५) सादनम् (नपुं०) [सद्+णिच्+ल्युट्] क्लान्त करना, थकाना। ० थकावट, क्लान्ति। ० घर, स्थान। . सादर (वि.) आदर पूर्वक (जयो०३/११६) प्रसन्नतापूर्वक। (जयो० १०/१२८) सादरदृष्टिः (स्त्री०) सुदृकपथ। (जयो० २/९५) सादिन् (वि०) [सद्+णिच्+णिनि] बैठा हुआ। सादिन् (पुं०) घुड़सवार, आरोहण कारिन्। सादिवर (वि०) उष्ट्ररोही। (जयो० १३/७३) हस्तिपक, महावत। (जयो०१३/४) (जयो० २१/२१) सादृश्यम् (नपुं०) [सदृश+ष्यञ्] ० समानता, समरसता, एक रूपता। ० प्रतिलिपि, प्रतिमूर्ति। सार्द्धद्वयद्वीपः (पुं०) अढ़ाई द्वीप। (भक्ति० ३५) साद्यन्त (वि.) [सह+आद्यन्ताभ्याम्] सम्पूर्ण, समस्त, पूर्ण, पूरा। साध् (सक०) पूरा करना, समाप्त कराना। ० सम्पन्न करना। ० जीतना। उपासना करना (जयो० २/३९) साधपत्यवगोचरं (सुद०) ० निष्पन्न करना, घटित करना। ० धारण करना, प्राप्त करना। साधक (वि.) [साध्+ण्वुल] सम्पन्न करने वाला, पूरा करने वाला। ० दक्ष, प्रभावशाली। ० कुशल, निपुण। ० मददगार, सहायक। ० कार्य परिणत करने वाला-साध्योऽप्यहं साधक एवमस्मिन। (भक्ति० ३१) • योगी-साधना करने वाला। योगि तदन्यभेदेन, द्वेधा भवति साधकः। आत्मनो हि भवेदाद्यः परस्यापीक्षकः परः।। (हित० ३) साधकता (स्त्री०) अभिलाषाओं की पूर्ति करने वाला। सर्वस्यार्थकुलस्य साधकतया सार्थीकृतात्मप्रथं। (जयो० २/११०) 'अन्यार्थसाधकतया विचरन् सुवंशे' (जयो० १२/१४५) साधन (वि०) [सिध+णिच् ल्युट्] निष्पन्न करने वाला, उपार्जन करने वाला। (जयो० १/११३) साधनम् (नपुं०) पूरा करना, पूर्ण करना। ० उपकरण, आधार, सहारा (जयो० २/२१) गेहमेकमिह भक्तिभाजनं पुत्र तत्र धनमेक साधनम्। ० भोगकारण। (जयो०वृ० २/२१) • किसी पदार्थ की पूर्ण अवाप्ति। (सम्य० ८२) साधनता (वि०) उद्देश्य पूर्ति। साधनत्व (वि०) उद्देश्य पूर्ति। साधना (स्त्री०) [सिध्+णिच्+युच्+टाप्] 0 आराधना, उपासना, पूजा, अर्चना। ० पूर्ति, निष्पन्नता। साधनासरणिः (स्त्री०) साधना पद्धति। (वीरो० १३/३१) साधन्तः (पुं०) [साध्+क्षच्-अन्तादेश:] भिक्षुक।। साधर्म्यम् (नपुं०) [सधर्म+ष्यञ्] समानधर्मता, गुणों की समानता। For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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