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साकेतकः
११७५
सातल
साकेतकः (पुं०) अयोध्या निवासी। साक्षमता (स्त्री०) होशियारी। (समु० ७/१३) साक्षरः (पुं०) कर्कन्दु। (जयो०वृ० ६/९६) साक्षरा (स्त्री०) यक्ष प्राप्त। (जयो० २६/७८) साक्षरा (स्त्री०) पाशकवती। (जयो० २०/७७) साक्षात् (अव्य०) [सह्+अश्+आति]
० सौभाग्य शाली। (जयो० २/१५७) ० सामने, दृश्य के सम्मुख। ० व्यक्तिशः, वस्तुतः।
० प्रत्यक्ष। (सम्य० ११६) साक्षात्कारितः (वि०) समक्षता। परिचय (जयो० ६/६) (जयो०
२०६८०) साक्षिक (वि०) अनुभवकर्ता। (जयो० २२/४) साक्षितिः (स्त्री०) पृथ्वी, भूमि। (समु० २/१०) साक्षिणि: (स्त्री०) गवाही, संज्ञापन। (जयो० १२/४०) साक्षिन् (वि०) [सह+अक्षि+अस्य, साक्षाद् द्रष्टा साक्षी वा]
देखने वाला, अवलोकन करने वाला। (जयो० २६/३७) साक्षिन् (पु०) साक्षी, गवाही, प्रमाणभूत। (वीरो० ६/१४)
साक्षी स्मराक्षीणहविर्भुगेष (वीरो०६/१४)
० अवेक्षक। साक्ष्यम् (नपुं०) [साक्षिन्+ष्यज] साक्षी, गवाही।
० सत्यापन। साक्षेप (वि०) [सह आक्षेपेण] व्यंग्य युक्त, दुर्वचनयुक्त। साखेय (वि०) [सखि ढञ्] मैत्रीपूर्ण, सौहार्दपूर्ण। साख्यम् (नपुं०) [सखि+ष्यञ्] मित्रता, सौहार्द्र। सागरः (पुं०) [सगरेण निर्वृतः] सागर, समुद्र, उदधि, वारिधि।
सरस्वत। (जयो०वृ० ९/६१) सागरतटः (पुं०) समुद्र का किनारा। सागरगा (स्त्री०) गंगा। सागरगामिनी (स्त्री०) सरिता, नदी। सागरदत्तः (पुं०) चम्पापुरी का एक सेठ। (सुद० ३/३४) सागरनेमि (स्त्री०) मेखला, करधनी। सागरमेखला (स्त्री०) पृथ्वी। सागरानुकूल (वि०) समुद्र के किनारे स्थित। सागरायः (पुं०) सागर दत्त सेठ। (सुद० ३/४५) सागरालयः (पुं०) वरुण। सागावेतम् (नपुं०) श्रावक व्रत। (हित०सं० ३१) साग्नि (वि.) [सह अग्निना] अग्नि सहित।
साग्निक (वि०) [सह अग्निना] अग्नि से सम्बद्ध। साग्र (वि०) [सह अग्रेण] • समस्त। अत्यधिक, अपेक्षाकृत
अधिक रखने वाला। सार्यम् (नपुं०) [सङ्कर+ष्यञ्] मिश्रण, मिलाया हुआ, घोल.
मिश्र। (जयो० ३/८०) साङ्कल (वि०) [सङ्कल+ष्यञ्] संलग्न, जोड़, मिलान। साधेश्यम् (नपुं०) कुशध्वज की राजधानी। साडर (वि०) अंकुरसहित, रोमाञ्चित। (जयो० ३/९३) साडेतित (वि०) [सङ्केत ठक] संकेतपरक, प्रतीकात्मक इंगित। साक्षेपिक (वि.) [संक्षेप+ठक्] संक्षिप्त, छोटा, लघुक,
छोटा किया हुआ। साङ्ख्य (वि०) [सङ्ख्या+अण] संख्या सम्बंधी, गणक।
० आकलन करने वाला। साङ्ख्यपरम्परा (स्त्री०) सांख्यमत की परम्परा। (दयो०४१) सांङ्ख्यमतः (पुं०) सांख्यदर्शन की विचारधारा। प्रकृतिः करोति
कार्यं समुहदहङ्कारपूर्वक मानात्।
पुरुषश्चेतयते पुनरेवं, समयोऽपि साङ्ख्यानाम्।। (दयो०९३) साङ्ख्यसम्पद् (स्त्री०) सांख्य परम्परा। (दयो० ४१) साङ्ग (वि०) [सह+अङ्गैः] अंगों सहित। प्रत्येक भाग में पूर्ण। साङ्गतिक (वि०) [सङ्गति-ठक्] साहचर्य युक्त, समुदाय से
सम्बन्धित। साङ्गमः (पुं०) [सङ्गम+अण्] मिलन, संयोग, जुड़ना। साङ्ग्रामिक (वि०) [संग्राम+ठञ्] युद्ध सम्बंधी, योद्धा,
सैनिक, सामरिक। साङ्गष्ठ (वि०) अंगूठा सहित। (जयो० ६/३२) साङ्गोपाङ्ग (वि०) सकल/सम्पूर्ण अंग युक्त। (जयो०२/४३) साचि (अव्य०) [सच्+इण्] तिर्यक, वक्रगति से, तिरछेपन से। साचिजल्पित (वि०) वक्रोक्तिपूर्ण कथन। (जयो० ७/६६) साचिनिरीक्षणम्: (नपुं०) तिर्यगवलोकन। (जयो० २३/३१) साचिव्यम् (नपुं०) [सचिव ष्यञ्] मंत्रालय, मंत्रित्व।
० मंत्रिमंडल। साजात्यम् (नपुं०) [सजाति+ष्यञ्] जाति, वर्ग, समुदाय, श्रेणी।
० समान वर्ण। साञ्जनः (पुं०) [सह अञ्जनेन] छिपकली। साट् (सक०) बतलाना, प्रकट करना। साटोप (वि०) [सह+आटोपेन] अहंकारी, अभिमानी। साडम्बर (वि०) आडम्बर सहित। (वीरो० २२/१६) सातल (वि०) आनन्द युक्त, हर्ष सहित।
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