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साधारण
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साधीयस्
साधारण (वि०) [सह धारणया] समान, संयुक्त।
साधयेतृस्वयमितः साधुः। (मुनि० ३२) ० मामूली।
० योगीराज (सुद०वृ० ११५) ध्यानाध्ययनतत्परः। ० सार्वजनिक।
(सम्य०९४) ० सर्वव्यापी, विश्वव्यापी।
साधु (अव्य०) अच्छा, उचित, योग्य ठीक-ठीक। ० तुल्य, सादृश्य, समान।
साधुचित् (वि०) साधूनांचित्-सज्जनबुद्धि वाला। (जयो० २/८०) ० सार्वजनिक विधि।
साधुजनः (पुं०) सज्जन पुरुष, सत्पुरुष। (जयो०वृ० १/६३) साधारणम् (नपुं०) साधारण, सामान्य। (सुद० ४/४५) वनस्पति (जयो० ६/४९) का एक भेद। (वीरो० १९/३२) जातिगत।
साधुता (वि०) आत्म उपासना वाला-आत्मोपासितयैहिकेषु साधारण धनम् (नपुं०) समान धन, संयुक्त धन।
विषयेष्वाशाधुतासाधुता। (मुनि००१) (जयो० २४/१२९) साधारणभेदः (पुं०) साधारण भेद। सामान्य भेद। प्रत्येक- साधुसंसर्गः (पुं०) अच्छे आचरण। (जयो० १५/३५)
साधारण-भेदभिन्नं वनस्पतावेवमवेहि किन्न। (वीरो०१९/३१) साध्य (वि०) [साध+णिच्+यत्] निष्पन्न, होने योग्य। (जयो० साधारणतोकः (पुं०) जन साधारण। (जयो०वृ० ३/४५)
२८/३२) साधारणसम्पत्तिः (स्त्री०) संयुक्त धन, मिला हुआ धन, इष्टमबाधितमसिद्ध साध्यम्। (परीक्षा सुद० ३/१५) एकत्रित धन।
० जो किया जा सके, प्राप्त करने योग्य। साधारणी (स्त्री०) साधारण स्त्री। (सुद० १३४)
तत्राद्यः साध्यरूपस्याद् साधारण्यम् (नपुं०) [साधारण+ष्यञ्] समानता।
द्वितीयस्तस्य साधनम्' (सम्य० ८२) साधि (स्त्री०) मानसिक पीड़ा। (भक्ति० २६)
साध्योऽप्यहं साधक एवमस्ति। को बाधको सम्भवादिहास्मिन्। साधिका (स्त्री०) [सिध्+णिच्+ण्वुल्+टाप् इत्वम्] कुशल (भक्ति० ३१)
स्त्री, साधनाशीला, निपुण स्त्री। वाञ्छिता। (जयो० २३/८१) साध्यता (स्त्री०) [साध्य+तल+टाप्] सम्भावना, शक्यता। साधित (भू०क०कृ०) [साध+क्त] निष्पन्न, कार्यान्वित, अवाप्त, साध्यत्व (वि०) सिद्ध करने योग्य। पूर्ण, सम्पूर्ण हुआ।
साध्यत्वेन ननुष्यस्य समाह जगदीश्वरः। (हित०६) ० समाप्त, ० सिद्ध। ० प्राप्त, उपलब्ध।
साध्वी (स्त्री०) [साधु ङीप्] श्रमणी, जैन साध्वी। ० पवित्रता ० उन्मुक्त, वश में किया गया, दमन किया हुआ। युक्त स्त्री। चेतश्चुरा मनोहरा। (जयो० ११/७८) साधिमन् (पुं०) [साधु+इमनिच्] भद्रता, श्रेष्ठता, उत्तमता। ०-सती (जयो०वृ० १/२०) साधिष्ठ (वि०) [साधु+इष्ठन्] श्रेष्ठ, सर्वोत्तम्। उचिततम, सानन्द (वि०) [सह आनन्देन] हर्ष, खुशी। आनन्दयुक्त। अत्यन्त दृढ़, कठोर।
(समु० २/२९) साधीयस् (वि.) [साधु ईयसुन्] अत्यधिक उत्तम, श्रेष्ठतम्। सानसिः (पुं०) स्वर्ण, सोना। ० कठोरता युक्त, अधिक दृढ़।
सानातनी (वि०) सनातन रीति सम्बंधी। (जयो० २०/२८) साधु (वि०) ० उत्तम, श्रेष्ठ, गुणी। समीचीन (जयो० १/५६) सानिका (स्त्री०) [सन्+ण्वुल+टाप्] बांसुरी। सज्जन (जयो० १/५६)
सानु (पुं०/नपुं०) वनखण्ड, अरण्य। सानु शृंगेबुधेऽरण्ये वात्यायां ० योग्य, उचित, ० शुद्ध, पवित्र, गौरवपूर्ण।
पल्लवे पथि इति वि (जयो० २१/३२) (जयो० १५/२५) ० निर्मल (जयो० १/१००) अच्छा (सुद० १/२३)
० चोटि, शिखर, कूट, शृंगमाला। (जयो० १/१३) ० भद्र, कल्याणकारी। 'चिरप्रव्रजितः साधुः।
० बिन्दु, किनारा। ० सूर्य। • मनोहर (जयो० ३/१०५)
० पर्वत (जयो० ४/३८) (भक्ति० ४४) साधुः (पुं०) साधु पुरुष, मुनि, श्रमण, ऋषि, संत। (सुद० | सानुकूल (वि०) अनुकूलात्मक। (जयो० ४/११, ४/४७)
४/१३) (समु० १/३४) अभिलषिमर्थं साधयतीति साधुः सानुक्रोश (वि०) [अनुक्रोशेन सह] दयालु, करुणाशील। (जैन०ल० ११४७)
सानुमत् (पुं०) [सानु+मतुप्] पर्वत, पहाड़। सवृत्तः समभात्समुत्थितः। (दयो० ११६)
साधीयस् (वि.) [साधु+ईयसुन] अत्यधिक उत्तम,
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