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समास्वाद्य
११५३
समितिः
समास्वाद्य (वि०) चखने योग्य, स्वाद लेने योग्य। समागाज्जगाम्
'समाता समास्वाद्य रसं तदीयम्' (वीरो० ५/३६) समास्थित (वि०) प्रतीत होने वाला."ज्ञान होने वाला।
(वीरो० २/२४) समाश्वासनम् (नपुं०) [सम्+आ+श्वस्+ णिच् + ल्युट्]
प्रोत्साहन, ढाढस बंधाना। सान्त्वना। (भक्ति० १२) विचार करना-अयं नरः सखाय समाश्वासनहेतवेऽह किलाद्यादौ' (जयो० २७/५५) समाश्वासनावस्था (स्त्री०) आशा। (जयो०वृ० २३/६५) समाश्वसि (वि०) आश्वासित, धैर्य बंधाया गया। जनतां च
नतां समाश्वसेः स्वमनस्यमा नैव विश्वसे:' (जयो० २६/२४) 'सदाचारधारिणीं विनीतां जनतां समाश्वसेः आश्वासनेन
सम्भावये' (जयो०वृ० २६/२४) समासः (पुं०) [सम्+अस्+घञ्] समष्टि, मिलाप, सम्मिश्रण।
शब्दरचना, समाहार। संक्षिप्तरूपाप्रदीपयुक्ता मृदुदारभावा, समासतस्तद्धितकृत् प्रभावा' (जयो० १५/३५)
संक्षिप्तिकरण, समाष्टि। सिकुड़न, संहृति। समास नाम। (जयो०वृ० १५/३५) द्वयोर्बहूनां पदानां
सम्मेलनं समासः' समासक्त (वि०) संलग्न, सम्बंधित। (जयो० १७/५५) समासक्तवार्ता (स्त्री०) संलग्न कथा। (जयो० १७/५५) समासक्तिः (स्त्री०) [सम्+आ+सञ्ज-क्तिन्] आसक्ति,
अनुरक्ति, प्रगाढ़, प्रेस अनुराग।
मिलाप, सम्मिलन। समासजन् (वि०) स्नान करने वाले। समासजन् स्नानकर्ता स
वीर: विज्ञान:नीरैर्विलसच्छरीरः' (वीरो० १२/४६) समासञ्जनम् (नपुं०) [सम्+आ+सञ्ज ल्युट्] ०मिलाना, संयुक्त
करना। जमाना, रखना। संपर्क, सम्मिश्रण।
सम्बंध, मेल। समासर्जनम् (नपुं०) [सम्+आ+सृज् + ल्युट्] पूर्ण त्यागना,
विसर्जन करना, हटाना। समासाद्य (वि०) प्राप्य, प्राप्त करने करने योग्य। (जयो०१/५) समासादमम् (नपुं०) [सम्+आ+णिच्+क्त] ०पहुंचना, प्राप्त करना, मिलना। निष्पन्न करना, कार्यान्वित करना।
समासादित (वि०) [सम्+आ+सद+णिच्+क्त] ०लभित, निपुण। समासोक्त्यलङ्कारः (पुं०) अलंकार नाम। (जयो० ७/८३) समासोक्त्यलङ्कारः (जयो०वृ० ३/११३) समाह (सक०) [सम्+आह] संचय करना, संयुक्त करना।
सम्मिश्रण करना। 'समाहरन् हैमकुलानुकूले ' (वीरो०९/३३) समाहरणं (नपुं०) [सम्+आ+ह ल्युट्] संयुक्त करना, संग्रह
करना, मिश्रण करना। समाहारः (पुं०) [सम्+आ+ह+घञ्] संग्रह, संघात, समविष्ट।
०अन्तर्भाव। (जयो०१० ३/१)
संक्षेपण, संकोचन, संहृति।
०प्रयोग (जयो०वृ० १/३९) सम्पत्ति (जयो०वृ० १/३९) समाहृत (भू०क०कृ०) मिलाया गया, संगृहीत, संचित। ०ग्रहण किया गया, स्वीकृत।
अंगीकार किया गया। समाहृतिः (स्त्री०) [सम्+आ+हृ+क्तिन्] संकलन, संक्षेपण। समाहू (सक०) [सम्+आ+ ह्वे] बुलाना। (सुद० १/१७,
जयो० ३/६७१) समाह्वः (पुं०) [सम्+आ+हे+घ] ललकार, चुनौती।
संग्राम, युद्ध। (जयो० २/९२) समाह्वयः (पुं०) [सम्+आ+हे+अच्] पुकारना, बुलाना।
संग्राम, युद्ध। समाह्वानम् (नपुं०) [सम्+आ+हे+ल्युट] ०संबोधन, बुलाना।
चुनौती देना। समि (वि०) योगी, ध्यानी। (जयो० २८/२) समिकम् (नपुं०) [समि+कन्+ल्युट] भाला, बल्लम, नुकीला
अस्त्र। समिच्छ (सक०) कहना-समिच्छन्ति (जयो० ३/६४) समिच्छन (वि०) समत्व चाहने वाले। (सुद०७१) समिच्छित (वि०) वाञ्छित, चाहा गया। (जयो० ३/९६) समित् (स्त्री०) [सम्+इ+क्विप्] ०युद्ध, संग्राम, लड़ाई। समित (वि०) वेष्टित, लपेटा हुआ। (सुद०५/२) (जयो०१०/९) समिता (स्त्री०) [सम्+इ+क्त+टाप्] गेहूं का आटा। समिता (वि०) संप्राप्ता। (जयो० २०/२९) समिताचारः (पुं०) सम्य आचार। समत्व आचरण। समितिः (स्त्री०) [सम्+इ+क्तिन] साहचर्य, मिलना, मिलाप।
सभा, परिषद।
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