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समापन्न
११५१
समारोपित
०अनुभाग।
समायत (भू०क०कृ०) [सम्+आ+यम्+क्त] लंबा किया हुआ, ०अध्याय।
बढ़ाया हुआ। नष्ट करना, हनन करना।
समायसमयः (पुं०) समुचित अवसर। समापन्न (भू०क०कृ०) [सम्+आ+पद+क्त] ०प्राप्त, अवाप्त, ०माया युक्त चेष्टा के शास्त्र। (जयो० ३/४) घटित हुआ।
समाययु। एकत्रित हुए। समागत, आया हुआ, आघात, पहुंचा हुआ। समायात् (वि०) आगतवान्, आया हुआ। (जयो० ३/६८) ०पूर्ण, समाप्त, सम्पन्न।
(सम्य० ७५) ०दु:खी, व्याकुल, कष्टयुक्त।
समायुक्त (भू०क०कृ०) [सम्+आ+युज्+क्त] संयुक्त, संबद्ध, समापदनम् (नपुं०) [सम्+आ+पद्+णिच् ल्युट्] सम्पन्न
संलग्न। करना।
सज्जित, तैयार किया हुआ। पूर्ण करना, मूर्त रूप देना।
नियुक्त किया हुआ। समापित (वि०) समाप्त। (सुद० ४/२५)
समायुज् (सक०) जोड़ना, संग्रह करना। (सुद० २/२०) समाप् (सक०) समाप्त होना। (सुद०१३७) पुण्यादहं समाप्नोमि
समायुत (भू०क०कृ०) [सम्+आ+यु+क्त] संयुक्त, संबद्ध, समाप्त (भू०क०कृ०) [सम्+आप+क्त] ०पूर्ण किया हुआ,
संलग्न। पूरा किया हुआ। (सुद० १३७)
०सहित, युक्त, अन्वित। उपसंहृत, समेटा हुआ।
समायुक्त (वि०) सहित। (सुद० ४/३) समाप्तकल्पः (पुं०) परिपूर्ण, सहाय युक्त कल्प।
समायोगः (पुं०) [सम्+आ+युज्+घञ्] सम्बंध, संयोग, समाप्ताल: (पुं०) [समाप्ताय अलति पर्याप्नोति-समाप्त+अल्+
मेल। (दयो० ७१) उम्प्रयोग (जयो० २३/४२) अच्] ०प्रभु, स्वामी। पति।
•संग्रह, ढेर, समुच्चय। समाप्तिः (स्त्री०) [सम्+आप+क्तिन्] ०उपसंहार, अंत, पूर्ति।
कारण, प्रयोजन, उद्देश्य। पूरा करना, पूर्ण करना। समाप्तिक (वि०) [समाप्ति ठन्] समापक,
समायोजनम् (नपुं०) समायोग। (सुद० १०२) ०अन्तिम, निष्पन्नता युक्त, समाप्त करने वाला।
समारब्धः (पुं०) आरब्ध। (जयो० २/११६) प्रारम्भ। समाप्लुत (भू०क०कृ०) [सम्+आ+प्लु+क्त] ०बाढ़ ग्रस्त,
(जयो०१५/८) बाढ़ में डूबा हुआ।
समारम्भः (पुं०) [सम्+आ+र+घञ्] प्रतिसार। ०आरम्भ ०पूरित, भरा हुआ।
शुरु। (सुद० ११२) (जयो० १०/१) समाभाषणम् (नपुं०) [सम्+आ+भाष ल्युट्] वार्तालाप, संवाद,
Pकार्य प्रारम्भ, उत्तरदायित्वप्राणव्यपरोपण, पूर्ण कार्य। कथोपकथन।
०परितापकारी व्यापार। जीवापमर्द। समाम्नानम् (नपुं०) [सम्+आ+म्ना+ ल्युट] ०आवृत्ति, उल्लेख।
०परितापन। गणना।
समाराध् (सक०) आराधना करना। (मुनि० १६) समाम्नायः (पुं०) [सम्+आ+ना+य] म्ना अभ्यासे समापूर्वः समाराधनम् (नपुं०) [सम्+आ+राध्+ल्युट्] प्रसन्न करना, भावे घजि।
सन्तुष्ट करना। ०अनुश्रुति, परम्परागत।
समारुह (अक०) [सम्+आ+रुह्] आरुढ़ होना। (जयो०११/६) ०पाठ, सस्वर पाठ।
समालोचनम् (नपुं०) समीक्षा। (जयो० ५/४०) निर्देशन।
सम्परोपणम् (नपुं०) [सम्+आ+रुह् णिच्+ ल्युट्] रखना, समष्टि, संग्रह।
अवस्थित करना। समायः (पुं०) [सम्+आ+इ+अच्] ०पहुंचना, आना।
सौंपना, देना।
| समारोपित (भू०क०कृ०) [सम्+आ+रह+णिच्+क्त] आरोपित, ६/३) क्वापि बाधा समायाता। (सुद० १०९)
आरूढ़ किया गया, चढ़ाया हुआ।
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