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सदेश
११३५
सनातन
सदेश (वि०) [सह देशेन] किसी देश का स्वामी। एक ही
स्थान से सम्बंध रखने वाला।
आसनवर्ती, पड़ौसी। सदेशतत्परः (वि०) समीपभाव में तल्लीन। (जयो० २१/४) सद्देशचरः (पुं०) कामदेव-'सन् देशः स्थानं तस्मिन् चरतीति
तस्य' सन् देशस्तस्मिन् चरतीति यस्य कामदेवः' (जयो०वृ०
१६/२२) सदैव (अव्य०) निरन्तर ही, नित्य ही, हमेशा ही। (जयो०
२७/५६) महोदया अस्ति सुरम्पदैवं युस्माभिरस्माकमहो
सदैव' (जयो० १२/१४०) सदोकः (पुं०) परम्परा, क्रमबद्ध। सुखमुपलभाव एष लोकः
सम्बभूव शिवकेलिसदोकः। . सदोष (वि०) त्रुटिपूर्ण। दोषयुक्त। (जयो० ६/६०) दूषणवाली।
(समु० १/१४) सद्दय (वि०) दयाशील। (जयो० ७/५९) (जयो० १४/४६) सद्यन् (नपुं०) [सीदत्सस्मिन्-सद्+मनिन्] ०घर, गृह, आवास, निवास। (समु० ५/११) स्थान, स्थल। मंदिर, भवन। (दयो० २/९)
०वेदी, जल। सद्मोदरः (पुं०) गृहस्थान, आवास स्थल। (जयो० १७/१२०) सद्यस् (अव्य०) आज, उसी दिन। (वीरो०८/३८) ०सदा। (जयो० १२/१) जयो० २७/५६)
अतिजवेन (जयो० २१/५) शीघ्र, तुरंत, तत्काल। (जयो० २/१२४) दोषा योषास्यतः सद्यः प्रभवन्ति मृषादयः। (जयो० २/१४४) ०स्वयं। (सुद० १३३)
पूर्व से पहले से-त्यक्त्वैक खलु वज्रसेनवचः सद्योऽनुलग्नः
कले:' (समु० २/२८) सद्यकालः (पुं०) वर्तमान काल। आधुनिक काल। सद्यकालीन (वि०) हाल ही का। सद्यजात (वि०) तत्काल उत्पन्न हुआ। सद्यजातः (पुं०) बछड़ा, वत्स। सद्यपातिन् (वि०) नश्वर, शीघ्र नाश होने वाला। सद्यशुद्धिः (स्त्री०) नित्य शुद्धि, तत्क्षण की गई पवित्रता। सद्यशौचं (नपुं०) बिस्तर की जाने वाली पवित्रता। सद्यस्तनम् (नपुं०) अभिनव कुच। (जयो० ११/११३) सद्यस्क (वि.) [सद्यस्+कन्] नवीन, नूतन, अभिनव।
तात्कालिका
सद्यस्मित (वि०) मन्दहास्य युक्त। (जयो० ११/८९) सद्याजात (वि०) शोभा युक्त, सद्भाव सहित। (जयो० २०/१३) सद् (वि.) [सद्+रु] विश्राम करने वाला, ठहरने वाला।
०जाने वाला। सद्वन्द्व (वि०) [सह द्वन्द्वेन] झगड़ालू, कलहप्रिय।
विवाद युक्त। सद्भावः (पुं०) समीचीन परिणाम। (सुद० ७१) सद्ववसथ: (पुं०) [सद्+वस्+अथच] ग्राम, गांव। सद्धर्मभवना (स्त्री०) नीतिमार्ग की भावना। (२३/९०) सद्भुलि: (स्त्री०) चरणरेणु, चरण रज। (जयो० ८/८) सधरणी (स्त्री०) उत्तम पृथ्वी। (जयो० ५/४) सधर्मन् (वि०) [समानो धर्मोऽस्य-सधर्म+अनिच्] समान
गुण युक्त, समान पद्धति वाला। सधर्मिणी (स्त्री०) सधर्मचारिणी। तुल्यविचारवती। (जयो०२२/)
(वीरो० १५/४४) पत्नी (जयो० १/१) सधर्मिन् (वि.) [सहधर्माऽस्ति अस्य सधर्म इनि] समान धर्म
वाला। (सम्य० ७६) समान धर्मसील। (जयो० २/१००) सधर्मिसंहतिः (स्त्री०) धार्मिक जनसमूह। (जयो० २१७२) सधिस् (पुं०) [सह इसिन् हस्य ध:] बैल, सांड, बलिवर्द। सधीची (स्त्री०) [सध्यच् ङीष्] सखी, सहेली, सहचरी। सधीचीन (वि०) सहचर, साथ चलने वाला। सध्यञ्च (वि०) [सहाञ्चति सह+अञ्च+क्विन्] सध्रिआदेश।
सहचर, साथ, साथ चलने वाला। सध्यञ्चः (पुं०) सहचर, पति। सन् (सक०) प्रेम करना, प्रीति करना।
०पसंद करना, पूजा करना, सम्मान करना।
०प्राप्त करना अधिगत करना। (जयो० २७/२२) सनः (पुं०) [सन्+अच्] हस्थिकर्ण फड़फड़ाहट।
एक ध्वनि विशेष। सनत्कुमारः (पुं०) एक चक्रवर्ती।
०सनत्कुमार नामक देव। (त०सू०पृ० ६६) सनभोभ्रुव (वि०) नासिका युक्त। (जयो० १/ ) सनसूत्रं (नपुं०) सन की रस्सी। सना (अव्य०) हमेशा, नित्य, निरंतर। सनागपाशः (पुं०) बाण विशेष। (जयो०८/७७) सनात् (अव्य०) हमेशा, निरंतर, नित्य। सनातन (वि०) [सदा-ट्युल, लुट् वि दस्य र:] ०पूर्वकालीन,
प्राचीन, पुरातन।
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