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सत्यं
११३१
सत्यानृत
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* सच्चा, यथार्थ, वास्तविक, जैसे का तैसा। (जयो० और सत्यवचन, सत्य के भेदों को प्रतिवादन करने वाला ५/४६) (जयो० १/२५)
ग्रंथा सद्गुण, सम्पन्न, निष्ठावान्।
सत्यभावः (पुं०) सम्यग्भाव, उचित परिणाम। सुंदर-'सत्याः सुबालभावं लभते सुदत्या' (जयो०११/६७) सत्यभामा (स्त्री०) सत्राजित की पुत्री, कृष्ण की पत्नी। सत्यं (नपुं०) सत्यधर्म, साधु वचन, प्रशस्त वचन, सम्यग्वाद। (सुद० ११२) सत्यभामा महिषी। (जयो० २२/३७)
तथ्यात्मक कथन, (सुद०४/३३) सत्यमेवोपयुज्जाना। सत्यमनोयोगः (पुं०) समीचीन पदार्थ युक्त मन। सद्भूतार्थ प्रतिपत्ति।
सत्यमहाव्रतं (नपुं०) मृषावाद विरमणव्रत, असत्यवचन का असावद्यकथन।
पूर्ण परित्याग। महाव्रती का एक महाव्रत। (मुनि०३) मृषावाद विरमण, असत्य परिहार।
सत्यमार्गः (पुं०) सम्यग्मार्ग। (भक्ति०१) सत्याणुव्रत, सत्यमहाव्रत।
सत्यमोषमनोयोगः (पुं०) सत्य और मषा दोनों का योग। सत्येन लोके भवति प्रतिष्ठाः, सत्येन लक्ष्मीर्भवताद्विशिष्ठा। सत्य युगं (नपुं०) सत् युग। अवसर्दिीकाल। (वीरो०१८/९) सत्येन वाचः सफल त्वमस्तु, सत्यं समन्तान्महदस्तिवस्तु।। सत्यवचस् (वि०) सत्यवादी, सत्यनिष्ठ। (समु० १४८)
सत्यवचनयोगः (पुं०) सत्यवचन का आश्रय। सत्यः (पुं०) सत्य लोक।
सत्यवस्तुपरिशोधन (नपुं०) यथार्थ वस्तु शुद्धि। (जयो० २/३०) सत्यकामः (पुं०) सत्य का प्रेमी, सत्य का इच्छुक व्यक्ति। सत्यवादी (वि०) सत्य बोलने वाला। (मुनि० २२)
सत्यव्रतः (पुं०) एक धूर्त ब्राह्मण वेषधारी व्यक्ति। सत्यगत (वि०) सम्यग्वाद को प्राप्त हुआ।
सत्यवतिन् (वि०) सत्यव्रत पालन। (दयो० ४५) सत्यघोषः (पुं०) कपट वेशधारी साधु। (सुद० ३/२३) सत्यशंसा (स्त्री०) सत्यप्रशंसा। (समु० १/१४) सत्यतारक (वि०) प्रशस्ततारक। (जयो० ५/४१)
सत्यसंदेशः (पुं०) ऊहोपोह रहित भाव। सत्यतावं (नपुं०) यथार्थ तत्त्व (वीरो० १३/९६)
___ सत्यसंदेशसंज्ञप्त्यै प्रसादं कुरु भो जिन। (वीरो० १३/३२) सत्यदर्शिन् (वि०) यथार्थ का प्रतिपादक, वस्तु की प्रामाणिकता सत्यसम्पत् (स्त्री०) सत्य की महिमा। (समु० १/४) प्रदर्शित करने वाला।
सत्यसम्मत (वि०) सत्य स्वरूप संबंधी। (वीरो० २९/१) सत्यंधरः (पुं०) एक राजा का नाम, जिसका पुत्र जीवन्धर सत्या (स्त्री०) पातिक्षात्य धर्मा। (सुद०८८) सीता। कुमार हुआ।
सत्यागामाश्रयः (पुं०) जैनाश्रय, जिनागम का आधार। (जयो० सत्यधर्मन् (नपुं०) सत्यधर्म, चौथा उत्तम सत्यधर्म। (त०सू०९/६) | १६/९९)
(जयो०१० २८/३७) जिसे विज्ञ और अज्ञ सभी स्वीकार करें | सत्याख्यः (पुं०) सत्युग, अवरूपिणी काल। (वीरो० १८/९) सत्यधन (वि०) सत्य गुण से समृद्ध।
सत्यागुणव्रत (नपुं०) श्रावक का दूसरा व्रत, स्थूल मृषा/असत्य सत्यधर्ममय (वि०) सम्यगनुष्ठान में तत्पर। (जयो०वृ० १/१०८) वचन का त्याग। सत्यधर्म के पालक।
स्थूलमलीक न वदति न परान् सत्यधृति (वि०) परम सत्यवादी।
वादयति सत्यमपि वदते।। (रत्नकाण्ड० ३/९) सत्यपथगामिन् (वि०) सन्मार्गगामी।
सत्याधारः (पुं) सत्य का आश्रय। (दयो० ७३) सत्यपालः (पुं०) एक राजा।
सत्यानुयायिन् (वि०) सत्यानुगामी, सत्य के मार्ग पर चलने सत्यपुरं (नपुं०) उत्तम लोक।
वाला। (वीरो० १३/३२) (वीरो० २२/२८) सत्यपूत (वि०) यथार्थ में पवित्र, परम पवित्र।
अहिंसा वर्त्म सत्यस्य त्यागस्तस्याः परिस्थितिः। सत्यपूर्णः (वि०) सत्ययुक्त, सत्य समाहित। (समु० ५/११) सत्यानुयायिना तस्मात्संग्राह्यस्त्याग एव हि।। सत्यप्रतिज्ञ (वि०) सत्य प्रतिपादक।
(वीरो० १३/३६) सत्यप्रतिज्ञा (स्त्री०) सत्य प्रतिपादन। (समु० १/२८) सत्यानुगत (वि०) सत्यधर्म युक्त। (जयो० २८/३७) सत्यप्रवादः (पुं०) सत्यप्रवाद नामक एक पूर्व ग्रन्थ, संयम | सत्यानृत (वि०) सत्य और मिथ्या।
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