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सत्तागत
११३०
सत्य
०मन, प्राणशक्ति।
सभी एकेन्द्रिय प्राणी-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और वनस्पति जीव। सामर्थ्य, शक्ति, बल, ऊर्जा। (जयो० ३/१०९) तत्त्वार्थ, पदार्थ, वस्तु, सम्पत्ति। ० भूत, प्रेत, पिशाच। ०प्राणी। (जयो० ७/९७) ०संज्ञा, नाम।
गर्भ।
सत्तागत (वि०) सत्ता को प्राप्त। (समु०८/१५) सत्तलोकः (पुं०) सत्त्व सामान्य का निर्विकल्पक ग्रहण। सत्त्रं (नपुं०) सद्गुण, उदारता। सदाव्रत (सुद०१/१९)
आवरण, धन-दौलत। ०अरण्य, वन। तालाब, पोखर।
शरणगृह, आश्रम। ०आश्रयस्थान। सत्रयी (वि०) त्रिवली युक्त। सत्त्रयी तु वलिपर्वविचारा।
वेदानां सत्त्रयी ऋग्यजुः-सामत्रयीव (जयो०वृ० ५/४३) सत्रा (अव्य०) [सद्+त्रा] के साथ, मिलकर, सहित। सत्रिः (पुं०) [सद्+त्रि] हस्ति, हाथी।
मेघ, बादल। सत्रिन् (पुं०) कर्मगत गृहस्था कार्यरत गृहस्थ। सत्पत्रं (पुं०) कमलपत्र। सत्पथः (पुं०) सन्मार्ग, श्रेष्ठमार्ग। संश्चासौ पन्था सत्पथः
(जयो० २/४८). ०कर्तव्यपथ, पुण्याचरण।
०यथेष्टमार्ग। (सम्य० ९४) शुद्धाचरण। (समु० २/२२) | सत्पथप्रवृत्त (वि०) सन्मार्गचर, सन्मार्ग में लगा हुआ।
(जयो०वृ० १८/७६) सत्पथशाण (वि०) प्रसादनकर। (जयो० ५/२६)
आकाशचारी। (जयो०वृ० १८/७६) सत्परिखा (स्त्री०) उत्तम परिखा (सुद०१/२५) स्वच्छपरिखा। । सत्परिग्रहः (पुं०) ग्रहण करने योग्य दान। सत्पशुः (पुं०) उत्तम पशु, श्रेष्ठ जाति का पशु। सत्पात्रं (नपुं०) योग्य व्यक्ति, पुण्यात्मा। (जयो०वृ० २/१०४) सत्पुत्रः (पुं०) तनयरत्न। (जयो०वृ० १८/४३) सत्पुष्पतल्पः (पुं०) उत्तम फूलों की शय्या। (सुद० ८६) सत्पुण्यसम्पत् (वि०) उत्तम पुण्य को प्राप्त। (सुद० ४/४७) सत्प्रयत्न (वि०) उत्तम यत्न। (सुद० २/४०) सत्फलता (वि०) सफलता (सुद० ११८) सत्व (वि०) सहित, युक्त। (सुद० १/३५) सत्त्व (नपुं०) [सतो भावः सत् त्व] सत्, अस्तित्व। (सुद०
४/३०) ०अस्तित्व, सत्ता, वस्तु की यथार्थता। ०प्रकृति, मूलतत्त्व। स्थिति। (जयो० १/२४) जीवन, जीव, प्राण, चेतना। (सुद० ९९)
सत्त्वगुणरक्षक (वि०) यथार्थ गुणों का रक्षण। सत्त्वप् (जयो०१०
१/११३) सत्त्वगुण के रक्षक। प्राणिरक्षक। सत्त्वगत (वि०) प्राणशक्ति युक्त। सत्त्वजात (वि०) यथार्थता को प्राप्त, वस्तु के यथार्थ स्वरूप
को प्राप्त। सत्त्वधर (वि०) प्राणवान्। सामर्थ्ययुक्त, शक्ति सम्पन्न। सत्त्वप (वि०) सत्त्वगुण रक्षक। (जयो०वृ० १/११३) सत्त्प्रतिबोधक (वि.) प्राणिमात्र को बोध देने वाले।
(भक्ति०२१) सत्त्वप्रतिष्ठाक्षमः (पुं०) प्राणिमात्र पर आदर भाव-सत्त्वानां
प्रतिष्ठायां क्षमो वर्तेत्। (जयो०वृ० ४/६८) सत्त्वरञ्जित (वि०) बल सुशोभित। 'सत्त्वेन बलेन रञ्जितः
शोभितः। (जयो०१० ३/१०९) सत्त्वलक्षणं (नपुं०) गर्भ के लक्षण, गर्भ के चिह्न। सत्त्वविप्लव: (पुं०) चेतना की क्षति, प्राणतत्त्व का विनाश। सत्त्वविहित (वि०) प्राकृतिक, सद्गुणी, पुण्यात्मा, सज्जन,
सामर्थ्य युक्त।
शक्तिशाली। सत्त्वसञ्चयः (पुं०) प्राणिवर्ग। (जयो० ७/९७) सत्त्वसंशुद्धिः (स्त्री०) प्रकृति की शुभ्रता, स्वच्छ पर्यावरण। सत्त्वसंहारः (वि०) प्राण घात। (दयो० ४९) सत्त्वसम्पन्न (वि०) सद्गुणी, श्रेष्ठ गुणों से युक्त। सत्त्वसंप्लवः (पुं०) शक्तिक्षीणता, बल की क्षति।
प्रलय, विश्वसंहार। सत्त्वसारः (पुं०) शक्तिशाली, शक्तिसम्पन्न। सत्त्वस्थ (वि०) प्रकृतिस्थ, स्वभावगत।
०सत्त्वगुण युक्त, विशिष्ठ, उत्तम, श्रेष्ठ। सत्त्वहीन (वि०) सामर्थ्य रहित, बलहीन। (जयो०वृ० १/७१) सत्य (वि.) [सत्सु साधु वचनं, सत्यर्थे भवः वचः सत्यम्]
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