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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सक्तु १११९ सङ्कलित सक्तु (पुं०) सत्तू, जौ का सत्तू। सग्धिः (स्त्री०) साथ-साथ, भोजन करना। सक्थि (नपुं०) [सञ्ज+क्थिन्] जंघा। सघन (वि०) अतिगम्भीर। रथपुट। (जयो० २३/१३) (जयो० ०हड्डी। १०/१६) गाड़ी का लट्ठा। सघनः (०) मोथा। (जयो०२१/३४) सक्रिय (वि०) [क्रियया सह] गतिशील, तत्पर, उद्यमशील। सघनीभूत (वि०) गाढता युक्त। (जयो० १३/४८) गढ़ी। सक्षण (वि०) [क्षणेन सह] अवकाश वाला। समय युक्त। सङ्कट (वि०) [सम्+कटच्] [सम्+कट्+अच्] कठिनाई, सखि (पुं०) [सह समानं ख्यायते ख्या+डिन्] मित्र, सहचर, डर, जोखिम। साथी। (सुद० ७०, ९०) संकीर्ण, अभद्या सखिराजन् (पुं०) राज राजेश्वर। (वीरो० ३/८) मित्रकर, सङ्कटं (नपुं०) भय, आपत्ति, व्याधि। (जयो० ४/३६) ०कष्टमयी। (सुद० ९४) सखी (स्त्री०) सहेली, सहचरी, संगिनी, सहभागिनी। ०कष्ट परम्परा। (जयो०१० २/१२६) सखीकृत् (वि०) आत्मसात्कृत्, मैत्रीकृत। (जयो० ३/५१) 'सङ्कटघटोपटोपिणी' सखिसमूहः (पुं०) सहेली वर्ग। आलिमण्डल। (जयो०७० सङ्ककृत (वि०) कष्टकारि। (जयो०१२/१२४) १२/५८) सङ्कटगत (वि०) कष्ट को प्राप्त हुआ। सख्यं (वि०) मित्रंता, मैत्री, घनिष्टता। (वीरो० २/३८) सङ्कटबहुल (वि०) कष्ट की अधिकता। (जयो०वृ० १/१०९) सखैर (वि०) साहसपूर्वक। सङ्कटसमाहित (वि०) कष्ट से परिपूर्ण। सखायमीरयति-सखैरः सङ्कथ (वि०) मनोरथ, अंतरंगाभिप्राय। (जयो० २६/२०) सखं बुद्धिसहितमीरयति। (जयो०८) सङ्कथा (स्त्री०) [सम्+कथ्+अ+टाप्] कीर्तिवार्ता, प्रासंगिक सख्यः (पुं०) मित्र, सहचर, साक्षी। कथा, विशेष कथन। (जयो० ५/२६) समालाप। सगणय (वि०) [गणेन सह] गण सहित, दल-बल सहित। बातचीत, वार्तालाप। सगणः (पुं०) शिव, महादेव। सङ्करः (पुं०) [सम्+कृ+अप] सम्मिश्रण, मिलावट, मेल। सगदेव (स्त्री०) रोगिणी की तरह। (सुद० ८४) मिश्रण। सगर (वि०) [गरेण सह] विषैला, विषयुक्त। सगर-नगरं ० धूल, रजकण, बुहारन्। त्यक्त्वा विषभेऽपि सर्भरसः, जहरीला। (वीरो० १०/१९) | सङ्कर्षणं (नपुं०) [सम्+कृष्+ल्युट्] खींचना, आकर्षण। (सुद० ९०) सिकुड़ना सगरः (पुं०) एक राजा। सङ्कल् (सक०) [समृ+कल्] संग्रह करना, इकट्ठा करना, सगरी (वि०) (दे) सारी, समस्त। (जयो० ३/७८) संचना करना। सङ्कलित। (जयो० २/६५) सगरोदनः (वि०) विष सहित जल। (सुद० ९०)। सङ्कल (वि.) [सम्+कल्+अच्] व्याप्त, पूर्ण, भरा हुआ। सगर्भः (पुं०) [सह समानो गर्भो यस्य] सहोदर भाई। (जयो०वृ० २/१२५) सगुण (वि०) [गुणेन सह] गुणों से युक्त, सद्गुणी। सङ्कलः (पुं०) [सम्+कल्+अच्] संग्रह, संचय, एकत्र ०डोरी से युक्त, रस्सी सहित। करना। ज्यायुक्त। सङ्कलनं (नपुं०) [सम्+कल ल्युट] सम्पर्क, संगम। ०साहित्यिक गुणों से परिपूर्ण। ०संचय, संग्रह। सग्रन्थः (वि०) गांठ सहित, हृदय ग्रन्थि युक्त। (सुद० १/१६) योग, जोड़। सग्रंथकन्था (स्त्री०) फटी हुई गुदड़ी। (वीरो० ९/२५) पकड़ा गया, हाथ में लिया गया। सगोत्र (वि.) [सह समानं गोत्रमस्य] बन्धु, कुटुम्बी, एक ही सङ्कलित (भू०क०कृ०) [सम्+कल्+क्त] संचित किया गया, गोत्र में उत्पन्न हुआ। एकत्रित किया गया। (दयो० ६५) संग्रही। द्वात्रिंशद्वर्णात्मकसगोत्रः (पुं०) परिवार, कुल, वंश। वृत्तविशेष सकंलनम्। (जयो० ६/४) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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