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संवलित
१११०
संविधानं
०बढ़ाया हुआ, पालित, संरक्षित।
संविग्न (वि.) [सम्+विज्+क्त] संवलित (भू०क०कृ०) [सम्+वल्+क्त]
विक्षुब्ध, उत्तेजित, व्याकुल। मिश्रित, मिलाया हुआ।
अशान्त, उद्विग्न। संबद्ध, संयुक्त, तर किपा हुआ।
त्रस्त, भयभीत। संवल्गित (वि०) [सम्+वल्ग्+क्त] पद दलित किया हुआ, संविज्ञात (भू०क०कृ०) [सम्+वि+ज्ञा+ क्त] सर्वसम्मत, रौंधा गया।
पूर्वाज्ञान। संवशिन् (वि०) जितेन्द्रिय, मन निग्रहकर। (जयो००० २५/५७) संविचार्य (वि०) अच्छी तरह समझकर। (जयो० २/४२) संवश (वि०) वश में रहने वाला। (जयो० २/७३) संवितानं (नपुं०) शान्दिायिनी। (जयो० २३/५४) ___'सम्यग्वशीभूताऽस्तु।'
संवित्तत्व (वि०) पाण्डित्यपूर्ण। (जयो०वृ० २८/६०) संवसथः (पुं०) [सम्+वस्+अथच्] ग्राम, बस्ती खेड़ा। संवित्तिः (स्त्री०) [सम्+विद्+क्तिन्] ज्ञान, चेतना, बुद्धि संवहः (पुं०) [सम्+व+अच्] प्रवाह। वायुवेग।
समझ। समस्त विकल्प नाशक। लक्षण के आश्रय में संवादः (पुं०) [सम्+वद्+घञ्]
अपने लक्ष्य का अनुभव करना। ०वार्तालाप, कथोपकथन।
०पहचान, प्रत्यास्मरण। चर्चा, वाद-विवाद, आपस में कथन।
संविक्षिभज (वि०) ज्ञानी। (मुनि० १७) सूचना, समाचार। स्वीकृति, सहमति।
संविद् (स्त्री०) [सम्+विद्+क्विप्] ज्ञान, बुद्धि, समझ, प्रज्ञा। ०समानुरूपता, समानता।
प्रतिज्ञा, अनुबन्ध। •सादृश्यता।
स्वीकृति, सहमति। संवारः (पुं०) [सम्+वृ+घञ्] आवरण, आच्छादन।
नाम अभिधान, संकेत, चिह्न। संरक्षण, संवाराण।
सहानुभूति, साथ देना। संवासः (पुं०) [सम्+वस+घञ्] समुदाय, मण्डली।
०वार्तालाप, कथोपकथन, संवाद। ०घर, आवास, निवास।
युद्ध, संग्राम, लड़ाई। (जयो० ७/९०) संवासानुमति (स्त्री०) आरंभ की अनुमति।
संविदम्बरं (नपुं०) युद्ध रूपी गगन। संवाहः (पुं०) [सम्+व+घञ्]
संविदोरणस्याम्बरे रसे गगने वा' (जयो०वृ० ७/९०) ०पर्वतादि का स्थान।
रणे सम्भाषणे-तथा अम्बरं रसे कार्पासे इति च। विश्वलोचन। मालिश, संमर्दन, दबाना।
(जयो०वृ० ७/९०) मुट्ठी भरना, दबोचना।
संविदा (स्त्री०) [संविद्+टाप्] प्रतिज्ञा, अनुबन्ध। संवाहकः (वि०) मालिश करने वाला।
संविदात (वि०) जानने वाला। प्रतिभशाली। संवाहनं (नपुं०) [सम्+व+णिच्+ल्युट्] बोझा ढोना, मालिश | संविदित (भू०क०कृ०) [सम्+विद्+क्त] करना।
ज्ञात, समझा हुआ, पहचाना हुआ। निपीडन। (वीरो० ५/३८)
सुविदित, विश्रुत। ०अन्वेषित। संमर्दन, दबाना।
उपदिष्ट, समझाया हुआ। संवाहन योग्यः (पुं०) संर्दन योग्य, ढोने योग्य। (जयो० । संविध (स्त्री०) [सम्+वि+धा+अङ्कटाप्] ११/८०)
व्यवस्था, उपक्रमण, आयोजन। संविकास (वि०) अच्छी तरह विकसित। (सुद० २।८)
०सम्यग् विधानकारण। (जयो० १३/१७) संविकाशफ (सक०) प्रसन्न पना। (जयो० ४/५८)
रीति, अनुष्ठान। अनुपमेय (जयो० १९/१७) संविक्त (वि.) [सम्+विज्+क्त]
संविधानं (नपुं०) [सम्+वि+धा+ल्युट्] ०अलग किया हुआ, विभक्त।
प्रबन्ध, व्यवस्था। सौभाग्य। (जयो० १/५१) विभाजित।
आयोजन, समायोजन, सम्भावन। (वीरो० २/१०)
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